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July 1, 2025 9:13 pm

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कानाफूसी

यूपी, झारखंड की राह पर अपना छत्तीसगढ़

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बलरामपुर से जो खबरें आई वह किसी भी एंगल से ना तो उचित कहा जा सकता है और ना ही इसे स्वीकारा जाना चाहिए। बेहद आपत्तिजनक और अस्वीकार्यता की सीमा से भी ज्यादा, यह ऐसी घटना है जो सभ्य समाज में स्वीकारा नहीं जाएगा। रेत माफियाओं की हिम्मत तो देखिए, कानून और सरकार का डर भी खत्म हो गया है। सरकार का इसमें दोष नहीं है, हर एक डिपार्टमेंट में चंद ऐसे अफसर और मुलाजिम होते ही हैं जो सरकार की मंशा और काम को अपने स्वार्थ की खातिर बट्टा लगाते ही रहते हैं। रेत माफिया ने एक कांस्टेबल को ट्रैक्टर से रौंदकर मार डाला। सरगुजा आईजी की सराहना तो बनती है कि घटना के लिए प्रथम दृष्टया दोषी ठहराते हुए टीआई को निलंबित कर दिया था। घटना को लेकर सरकार की पैनी निगाहें भी लगी हुई थी। इसी बीच हाई कोर्ट ने इसे सोमुटो भी ले लिया। सरकार पल-पल की खबरें तो ले रही थी साथ ही कार्रवाई का अपडेट भी। तभी तो माइनिंग सेक्रेटरी पी दयानंद ने प्रदेशभर के कलेक्टर्स की मीटिंग लेकर दोटुक कह दिया। सब ठीक करें। मनमानी करने वालों पर कानून का डंडा चलाएं। सरकार की इस कड़ाई का असर भी दिखाई देगा। दिखाई देना भी चााहिए। कानून तोड़ने वालों के खिलाफ सख्ती जरुरी है और जेल की सलाखें भी।

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कोई तो समझाए तालाब के मेढ़ पर कैसे होगी खेती

छत्तीसगढ़ की बिजली कंपनी को पावर जनरेशन के लिए केंद्र सरकार ने रायगढ़ जिले के बजरमुड़ा में कोल ब्लाक का आवंटन किया है। सरकारी के अलावा तकरीबन एक हजार एकड़ निजी जमीन का अधिग्रहण का मामला है। निजी जमीन के अधिग्रहण में उस दौर के एसडीएम,तहसीलदार और विभाग के सरकारी मुलाजिमों ने गजब का भ्रष्टाचार किया। भूअर्जन के नाम पर ऐसे कारनामे जिसे पढ़कर और सुनकर आप भी हक्के-बक्के रह जाएंगे। यकीन नहीं होगा कि अफसर इस हद तक जा सकते हैं। सरकारी खजाने को पौने पांच अरब का चूना भी लगा दिया है। घोटाले के नित नए तरीके अफसर इजाद कर रहे हैं। आपको यकीन नहीं होगा अफसरों ने क्या और कैसे-कैसे कारनामे कर डाले हैं। एक बानिगी आपको बताते चलते हैं। अफसरों ने सरकारी कागज में तालाब के मेढ़ पर फसल उगा दिया है। वह भी एक नहीं दो फसल। अब आप ही बताइए, तालाब के मेढ़ पर भला खेती कैसे होगी और वह भी धान की खेती। गजब तो तब हो गया जब इसी मेढ़ पर एक नहीं दो फसल लेना बता दिया। खरीफ में धान और रबी फसल के रूप में भी धान की खेती। अफसरों के कारनामे और भी हैं। आगे फिर जगरमुड़ा घोटाले की चर्चा आपसे जरुर करेंगे।

सीएम पहुंचे कर्रेगुट्टा, जवानों का बढ़ाया जोश


छत्तीसगढ़ में सुशासन तिहार का जोर चल रहा है। सीएम का चौपर अचानक किसी भी गांव में लैंड कर रहा है। गुरुवार को सीएम विष्णुदेव साय औचक निरीक्षण पर चौपर में आला अफसरों के साथ उड़ान भरी। एक गांव में चौपाल लगाने के बाद उनका चौपर सीधे कर्रेगुट्टा के लिए उड़ान भरा और तय समय में लैंडिंग भी कर ली। सीएम के साथ छग शासन के सेक्रेटरी अमिताभ जैन व सीएम सेक्रेटरी सुबोध सिंह भी नजर आए। कर्रेगुट्टा पहुंचते ही माहौल भी जम गया और सभी मां भारती के रंग में रंग गए और रच बस गए। जवानों का हौसला तो देखते ही बनता था। सीएम साय को अपने बीच पाकर और उनकी साफगोई ने सबका दिल जीत लिया। सुशासन तिहार के बीच सीएम के कर्रेगुट्टा प्रवास की चर्चा ने जोर भी पकड़ी। समूचे प्रदेश में इस बात की चर्चा होते रही और आगे भी यह जारी रहेगी। कर्रेगुट्टा में जवानों ने जो किया वह दशकों तक याद रहेगा। माओवादियों के सुरक्षित पनाहगाह को ना केवल तबाह कर दिया है वरन माओवादियों को भागने पर मजबूर भी कर दिया। एक और सराहना करने वाली बात, अब तक के सबसे बड़े आपरेशन को जवानों ने अंजाम दिया है। 31 माओवादियों को मौत के घाट उतार दिया है। यह तो गर्व और गौरव करने का दिन है।

कलेक्टर के इस अभियान की सराहना तो बनती है


जिले में भीषण गर्मी पड़ रही है। जल संकट भी इसी अंदाज में गहराने लगा है। जल संकट के गहराते ही जिले की राजनीति भी गरमाने लगी है। बुधवार को विकास भवन के सामने आपने और हमने सीन देखा ही है। राजनीति के रंग भी निराले होते हैं। इसमें नेतागीरी का कहने ही क्या। जल संकट के दौर में नेताओं के हाथ में हैंडपंप से लेकर पंखा और मटका सब-कुछ नजर आया। निगम के अधिकारियों को इन सब का अंदाजा पहले से ही था। आंदोलन में नवाचार भी देखने को मिला। बहरहाल हम बात करते हैं कलेक्टर संजय अग्रवाल के सोच की। राजनीातिक आंदोलन से पहले ही कलेक्टर ने बोरवेल संचालकों की मीटिंग बुला ली थी। बोर मशीनों में जीपीएस लगाने का हुक्म भी जारी कर दिया था। पुख्ता प्रबंधन करने के बाद एक अभियान की शुरुआत भी उसने कर दी। नाम दिया है- मोर गांव-मोर पानी महाअभियान। निश्चित मानिए अगर यह अभियान सफल रहा और ग्रामीण जुट गए तो आने वाले दिनों में जल संकट भी दूर हो जाएगा। कलेक्टर ने दूरगामी सोच के साथ अभियान की शुरुआत की है। दुआ करिए अभियान सफल हो और लोग जागरुक हो जाएं।

अटकलबाजी


जल और बिजली संकट को लेकर बुधवार को कांग्रेस के विकास भवन घेराव के दौरान कुछ तो मिसिंग थी। मिसिंग क्या थी, यह जानना,समझना और खोजने की जिम्मेदारी आपकी है। फोटो मेड कौन नेता कल के सियासी शो में नजर नहीं आया।


कांग्रेस के आंदोलन के ठीक एक दिन पहले नेताओं के बीच तू डाल-डाल तो मैं पात-पात वाली कहावत कैसे सटिक बैठते नजर आई। वो नेताजी कौन हैं जो अपनी ही पार्टी के आंदोलन की हवा निकालने घेराव से ठीक एक दिन पहले कलेक्टर के चेंबर में चंद अपनों के साथ नजर आ रहे थे।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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