बिलासपुर छत्तीसगढ़ ।मोटर दावा दुर्घटना के मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने बीमा कंपनी को निर्देशित किया है कि याचिकाकर्ता महिला काे 11,25,750 मुआवजा देने का आदेश दिया है।
बिहार के गया जिले की निवासी रीता देवी के पति कमलेश यादव ट्रक चालक थे। 22 अगस्त 2015 को वे ट्रक से असम की ओर जा रहे थे। रास्ते में छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के धर्मजयगढ़ के पास उनकी ट्रक की सीधी टक्कर सामने से आ रही एक बस (सीजी 14 जी 0786) से हो गई। हादसे में कमलेश यादव को गहरी चोटें आईं और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। पति की मौत के बाद पत्नी रीता देवी ने अपने बच्चों के साथ मिलकर ₹1.46 करोड़ मुआवजे की मांग करते हुए ट्रिब्यूनल में दावा पेश किया था।

ट्रिब्यूनल ने वर्ष 2019 में केवल ₹6.67 लाख का मुआवजा तय किया। ट्रिब्यूनल के फैसले को चुनौती हुए हाई कोर्ट में अपील की। मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस राकेश मोहन पांडेय ने कहा कि, मृतक की उम्र 40 वर्ष मानकर 40 प्रतिशत भविष्य की संभावनाओं को जोड़ा जाना चाहिए था, जो ट्रिब्यूनल ने नहीं किया। मृतक की मासिक आय 9,500 रुपये मानकर कुल वार्षिक आय 1,14,000 रुपये और भविष्य संभावना सहित1,59,600 रुपये आंकी गई। एक चौथाई व्यक्तिगत खर्च घटाकर 1,19,700 रुपये प्रतिवर्ष की गणना की गई। 15 का गुणांक लगाकर 17.95 लाख की क्षति मानी गई।
बीमा कंपनी ने तर्क दिया कि मृतक की आय 50 हजार रुपये प्रतिमाह नहीं थी और चालक के पास वैध लाइसेंस नहीं था। कोर्ट ने सबूतों और चार्जशीट के आधार पर माना कि ट्रक चालक की आंशिक लापरवाही थी, लेकिन बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन नहीं हुआ था। कोर्ट ने बीमा कंपनी को 60 दिनों के भीतर 4,58,500 रुपये की अतिरिक्त राशि 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित अदा करने का आदेश दिया। यह ब्याज क्लेम दायर करने की तिथि से लागू होगा।

अधिमान्य पत्रकार छत्तीसगढ़ शासन