नक्सल मुक्त बस्तर और छत्तीसगढ़, ये तस्वीर अच्छी है




गृह मंत्री ने छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त करने के लिए टारगेट फिक्स कर दिया है। टारगेट फिक्स होते ही मिशन पर सुरक्षा बल के जवान निकल चुके हैं। अच्छा इम्पैक्ट भी आ रहा है। छत्तीसगढ़ और तेलंगाना बार्डर पर देश के सबसे बड़े नक्सल अभियान पर सुरक्षा बल के जवान निकल चुके हैं। यह भी पहली बार देखने को मिला जब हेलिकाफ्टर के जरिए डेंस फारेस्ट एरिया में 500 जवानों को उतारा गया है। चर्चा तो इस बात की भी हो रही है कि 300 के करीब नक्सली नेता घने जंगलों के बीच है। नक्सली नेताओं को सुरक्षा बल के जवानों ने घेर रखा है। होम मिनिस्टर ने जो टारगेट फिक्स किया है उस पर काम तेजी के साथ चल रहा है। उम्मीद करते हैं कि टारगेट से पहले ही बस्तर नक्सल मुक्त हो जाए। यह होते ही बस्तर की एक नई तस्वीर देश के सामने उभरकर आएगी। एक ऐसी तस्वीर जिसकी चर्चा दूर तलक जाएगी। कहते हैं ना, उम्मीद पर दुनिया टिकी है। हमारी और आपकी उम्मीदों पर छत्तीसगढ़ सरकार और सुरक्षा बल के जवान सुरक्षित रहते हुए सफल रहे।



तबादला के बाद अब ज्वाइनिंग का दौर

तीन दिन पहले छत्तीसगढ़ सरकार ने बड़ी संख्या में आईएएस अफसरों का तबादला आदेश जारी किया था। इसके दूसरे दिन आईपीएस अफसरों की सूची भी सामने आई। तबादलों के इस दौर में अच्छे-अच्छों को जिले से बाहर होना पड़ा है और इसी के साथ कुर्सी से भी। तबादला के चले दौर के बाद अब ज्वाइनिंग का दौर शुरू हो गया है। बिलासपुर संभाग के नए कमिश्नर ने गुरुवार को अपनी ज्वाइनिंग दी। ज्वाइनिंग के तत्काल बाद केंद्र व राज्य शासन की योजनाओं को धरातल पर लाने की बात कही। उम्मीद करते हैं कि जो वे कह रहे हैं वह धरातल पर दिखाई देगा। नए कलेक्टर के ज्वाइनिंग की बारी है। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद बिलासपुर में एसडीएम रहे संजय अग्रवाल अब कलेक्टर बन कर यहां आ रहे हैं। बिलासपुर डिस्ट्रिक हेड क्वार्टर के साथ ही जिले की भौगोलिक स्थिति से अच्छी तरह वाकिफ हैं। उम्मीद करते हैं कि पुरानी जान पहचान और यहां की तासीर से वाकिफ नए कलेक्टर का काम भी उसी अंदाज में दिखाई देगा।
स्कूटर से इनोवा और अब लालबत्ती

राजनीति में कब क्या हो जाए, ना तो आप जान सकते हैं और ना ही इसका अंदाज लगा सकते हैं। हमने तो कइयों को फर्श से अर्स तक पहुंचते देखा है, कुछ इसी अंदाज में नीचे भी आए और बहुतों ऊपर पर पहुंचे। जोगी के शासनकाल में विधायक से राज्यसभा सदस्य बनने वाले नेता को तो जानते ही होंगे। भाग्य जब मेहरबान हुआ तो पहले विधायक की कुर्सी मिली और फिर दिल्ली जा पहुंचे। विधायक फिर राज्यसभा सदस्य। इसे ही तो कहते हैं भाग्य। भाग्य प्रबल होता है तो पहलवान कोई भी बन सकता है। इसी चर्चा को आगे बढ़ाते हैं। भाजपा में एक नेता जी की इन दिनों खूब चर्चा हो रही है। एक वह जमाना था जब स्कूटी की सवारी करनी पड़ती थी। स्कूटी भी ऐसी कि पता नहीं चलते-चलते कब खड़ी हो जाए। भाग्य ने जब पलटी मारी तो स्कूटी से सीधे इनोवा में आ गए। वह भी वीआईपी नंबर के साथ। वीआईपी नंबर वाले इनोवा की सवारी करते-करते अब लालबत्ती का सुख भी पा गए। स्कूटी से इनोवा और अब लालबत्ती। यह तो रिसर्च वाली बात है। कैसे और कहां से जुगाड़ हुआ। यह पता लगाने का काम आपका है।
तुम्हारी भी जय-जय और हमारी भी जय जय
क्या आप यह बात जानते हैं कि सत्ताधारी दल में एक ऐसे भी नेता हैं जो सब तरफ बैलेंस बनाकर चलते हैं। अब आप ये सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसा करामाती नेता हैं कौन। जो बखूबी इस काम को लंबे अरसे से निभाते चले आ रहे हैं। तभी तो डा रमन सिंह के जमाने में भी लालबत्ती का सुख भोगा और अब मौजूदा दौर में भी लालबत्ती मिल गई। यह सबको अच्छी तरह पता है कि जिले के दिग्गज नेताओं के बीच बैलेंस बनाकर चलना अपने आप में टेढ़ी खीर है। पर नेताजी यह काम बखूबी करते चले आ रहे हैं। सिविल लाइन बंगले से लेकर तिफरा और अब बाबजी कालोनी से सत्ताइस खोली। आप तो पढ़कर ही हांफ गए होंगे। जरा नेताजी की तो सोचिए, कैसे और किस तरह बैलेंस बनाते होंगे और भैया लोगों को खुश करते होंगे।
अटकलबाजी
नए कलेक्टर का नाम तबादला सूची में आते ही जिले के नेताओं की परेशानी क्यों बढ़ गई है। क्यों बार-बार एक ही नेता और एक ही जगह की चर्चा होने लगी है।
लालबत्ती पाने वाले एक नेताजी का कार्यकर्ताओं और नेताओं ने नया नामकरण कर दिया है। आलू के नाम से चर्चित हो रहे नेताजी कौन हैं।

प्रधान संपादक