बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक रिटायर्ड हेड क्लर्क से 37 वर्षों की वेतन वसूली को अवैध करार देते हुए विभाग द्वारा जारी आदेश को रद्द कर दिया है। यह फैसला न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु की एकलपीठ ने सुनाया। अदालत ने कहा कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों से बिना उनकी गलती के, विशेषकर धोखाधड़ी के बिना, वेतन की वसूली करना असंवेदनशील और कानून के विपरीत है।
यह मामला दुर्ग जिले के एक रिटायर्ड हेड क्लर्क से जुड़ा है, जिनसे वर्ष 1986 से 2023 तक मिले अतिरिक्त वेतन की वसूली की जा रही थी। विभाग का तर्क था कि उक्त कर्मचारी को वर्षों तक गलत वेतनमान का लाभ मिलता रहा, जिसे अब सेवानिवृत्ति के बाद रिकवर किया जाना है।

इस पर कर्मचारी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर इसे चुनौती दी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 2015 के स्टेट ऑफ पंजाब बनाम रफीक मसीह और 2025 के जोगेश्वर साहू बनाम छत्तीसगढ़ राज्य प्रकरणों का हवाला दिया। इन फैसलों में स्पष्ट किया गया है कि ग्रुप-सी (क्लास-III) के कर्मचारियों से रिटायरमेंट के बाद की गई अधिक वेतन की वसूली न केवल अनुचित है, बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से भी गलत है।
कोर्ट ने कहा कि कर्मचारी ने जानबूझकर कोई गलत लाभ नहीं लिया था और न ही इसमें उसकी कोई भूमिका रही। ऐसे में लंबे समय बाद वेतन की वसूली करना कानूनन उचित नहीं है।

Author: Ravi Shukla
Editor in chief