बिलासपुर। बिलासपुर हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच में अतिक्रमण, अव्यवस्थित फुटपाथ और पर्यावरण सुरक्षा जैसे मुद्दों पर बुधवार को सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई। पत्थलगांव सड़क मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्होंने स्पष्ट कहा कि एक पेन से जो काम हो सकता है, वह आप नहीं करते, सिर्फ ड्रामा करने जाते हैं।
हाई कोर्ट ने बिलासपुर नगर निगम और जिला प्रशासन को निर्देश दिया कि शहर में हुए अतिक्रमणों को हटाने के लिए उनके पास पर्याप्त आदेश पहले से ही हैं, लेकिन कार्रवाई न करने की मानसिकता चिंता का विषय है। स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा बनाए गए फुटपाथ पर सवाल उठाते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि, यहां कोई दिव्यांग तो क्या, एक स्वस्थ व्यक्ति भी आसानी से नहीं चल सकता। उन्होंने जिला कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त को मौके पर जाकर स्थिति का निरीक्षण करने के निर्देश दिए। मुख्य न्यायाधीश ने यहां तक कहा कि, निगम आयुक्त की लापरवाही इतनी गंभीर है कि उन्हें तत्काल सस्पेंड किया जाना चाहिए।





सुनवाई के दौरान महामाया मंदिर परिसर के कुंड में जाल बिछाकर मछलियां पकड़ने के दौरान दो दर्जन कछुओं की मौत का मामला भी सामने आया। चीफ जस्टिस ने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के उल्लंघन पर सवाल उठाते हुए मंदिर ट्रस्ट और जिला प्रशासन की जवाबदेही तय करने की बात कही। उन्होंने कहा, मंदिर ट्रस्ट और प्रशासन क्या कर रहा था।
सुनवाई के दौरान जरहाभाठा ओमनगर क्षेत्र में लगातार बढ़ते कचरे और साफ-सफाई के नाम पर खर्च हुए 4 करोड़ रुपये की खबर पर भी हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया। हाई कोर्ट ने इस संबंध में जनहित याचिका दर्ज कर ली है और जिला कलेक्टर व नगर निगम आयुक्त से व्यक्तिगत शपथपत्र पर जवाब मांगा है कि इन समस्याओं का समाधान कैसे किया जाएगा। जनहित याचिका की अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 9 अप्रैल की तिथि तय कर दी है।




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