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September 12, 2025 12:30 pm

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निर्वाचन आयोग अगले तीन महीनों में डुप्लीकेट इपिक नंबर के मुद्दे का समाधान करेगा

रायपुर। भारत के निर्वाचन आयोग ने दशकों पुराने डुप्लीकेट इपिक नंबर के मुद्दे को सुलझाने के लिए ठोस कदम उठाने का निर्णय लिया है। आयोग ने घोषणा की है कि अगले तीन महीनों में यह समस्या पूरी तरह से हल कर दी जाएगी।

डुप्लीकेट इपिक नंबर का कारण

वर्ष 2000 में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को इपिक (EPIC) सीरीज आवंटित किए गए थे, लेकिन कुछ निर्वाचन रजिस्ट्रेशन अधिकारियों (ERO) द्वारा गलत सीरीज का उपयोग करने के कारण विभिन्न राज्यों में डुप्लीकेट इपिक नंबर जारी हो गए। हाल ही में 100 से अधिक मतदाताओं के सैंपल सर्वेक्षण में यह स्पष्ट हुआ कि जिनके इपिक नंबर डुप्लीकेट हैं, वे वास्तविक मतदाता हैं। हालांकि, एक मतदाता केवल उसी मतदान केंद्र पर वोट डाल सकता है, जहां वह पंजीकृत है।

डुप्लीकेट इपिक नंबर की समस्या का समाधान

निर्वाचन आयोग ने इस मुद्दे को हल करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों और राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ गहन चर्चा की है। आयोग ने निर्णय लिया है कि डुप्लीकेट इपिक नंबर वाले मतदाताओं को एक विशिष्ट राष्ट्रीय इपिक नंबर जारी किया जाएगा। इससे भविष्य में इस समस्या की पुनरावृत्ति नहीं होगी।

मतदाता सूची की अद्यतन प्रक्रिया

भारत की मतदाता सूची दुनिया की सबसे बड़ी चुनावी डेटा प्रणाली है, जिसमें 99 करोड़ से अधिक मतदाता पंजीकृत हैं। हर साल अक्टूबर से दिसंबर के बीच विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (SSR) अभियान चलाया जाता है, जिसकी अंतिम सूची जनवरी में प्रकाशित की जाती है। SSR 2025 के लिए अंतिम मतदाता सूची 6-10 जनवरी 2025 के बीच प्रकाशित की गई थी।

मतदाता सूची की सत्यापन प्रक्रिया में बूथ लेवल अधिकारी (BLO) और बूथ लेवल एजेंट (BLA) शामिल होते हैं, जो मतदाता सूची की जांच करते हैं। इसके अलावा, मतदाता सूची की ड्राफ्ट कॉपी को सार्वजनिक रूप से प्रकाशित किया जाता है, ताकि किसी भी विसंगति की शिकायत दर्ज कराई जा सके।

शिकायत निवारण प्रक्रिया

यदि किसी मतदाता को अपनी जानकारी में कोई गलती मिलती है, तो वह RP Act 1950 की धारा 24(a) के तहत DM/जिला कलेक्टर/कार्यपालक मजिस्ट्रेट के पास पहली अपील कर सकता है। यदि वह निर्णय से असंतुष्ट होता है, तो RP Act 1950 की धारा 24(b) के तहत राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) के पास दूसरी अपील कर सकता है।

निर्वाचन आयोग द्वारा उठाए गए इस कदम से मतदाता सूची में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ेगी तथा भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और मजबूत किया जाएगा।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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