दुर्ग ।नवीन आपराधिक कानूनों पर आधारित संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन आज महात्मा गांधी कला मंदिर, सिविक सेंटर, सेक्टर-6, भिलाई में नर्सों एवं पैरामेडिकल स्टाफ के लिए किया गया। कार्यशाला का उद्देश्य नए आपराधिक कानूनों की जानकारी देकर चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े कर्मियों को सजग एवं सशक्त बनाना था।

कार्यक्रम में एसएसपी दुर्ग आईपीएस विजय अग्रवाल एफएसएल भिलाई के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी पंकज ताम्रकार जिला अभियोजन अधिकारी दुर्ग अनुरेखा सिंह तथा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सेवानिवृत्त अशोक जोशी रूप से उपस्थित रहे।

एसएसपी अग्रवाल ने कहा कि नई भारतीय न्याय संहिता आम जनता को शीघ्र और प्रभावी न्याय दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने बताया कि महिलाओं से संबंधित अपराधों में सख्त दंड का प्रावधान किया गया है तथा सामुदायिक सेवा को न्याय-व्यवस्था में सम्मिलित कर दंड से न्याय की ओर बढ़ने की पहल की गई है। उन्होंने यह भी बताया कि तलाशी की प्रक्रिया में फोटोग्राफी वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी, जिससे न्यायालयीन प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और मामलों का शीघ्र निपटारा संभव हो सकेगा।

वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी श्री ताम्रकार ने कहा कि नई न्याय संहिता 01 जुलाई 2024 से प्रभाव में है और अब वैज्ञानिक साक्ष्य एवं डिजिटल साक्ष्य की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है। उन्होंने फॉरेंसिक साक्ष्य संग्रहण, पैकिंग, प्रिजर्वेशन एवं चेन ऑफ कस्टडी की प्रक्रिया को विस्तार से समझाया। उन्होंने बताया कि 7 वर्ष या अधिक की सजा वाले मामलों में फॉरेंसिक टीम की उपस्थिति अनिवार्य कर दी गई है।
जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती अनुरेखा सिंह ने बलात्कार पीड़िता के चिकित्सीय परीक्षण की प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 12 वर्ष से कम आयु की बालिका के मामले में माता-पिता या संरक्षक की अनुमति जरूरी है। चिकित्सीय परीक्षण 24 घंटे के भीतर और रिपोर्ट 07 दिनों के भीतर पुलिस को अनिवार्य रूप से देनी होती है।
इस अवसर पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शहर दुर्ग सुखनंदन राठौर, उप पुलिस अधीक्षक रक्षित निरीक्षक नीलकंठ वर्मा सहित पुलिस एवं स्वास्थ्य विभाग के अनेक अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।

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