शराब घोटाले का जिन्न जब से बोतल से बाहर आया है छत्तीसगढ़ की सियासत समय-समय पर गरमाते रही है। ईडी के एक्शन मोड में आते ही एक बार फिर छत्तीसगढ़ की राजनीति में अटकलबाजी से लेकर कानाफुसी तेज हो गई है। कांग्रेस गर्वनमेंट में आबकारी मंत्री रहे कवासी लखमा की गिरफ्तारी के बाद अटकलबाजी ने एक बार फिर जोर पकड़ना शुरू कर दिया है। अंदाजा इस बात पर जाकर टिक जा रहा है कि ईडी के टारगेट में इस बार कहीं पूर्व सीएम भूपेश बघेल तो नहीं। अगर ऐसा हुआ तो स्थानीय निकाय चुनाव से पहले छत्तीसगढ़ की राजनीति किस अंदाज में गरमाएगी इसका अंदाजा लगाना फिलहाल कठिन है। लिहाजा यह कहना भी जल्दबाजी ही होगा कि सरकार का यह दांव किस करवट बैठेगा।




बिलासपुर। कहावत है, राजनीति और जंग में सब-कुछ जायजा है। साम,दाम, दंड और भेद। जो चाहे आजमा लें। लक्ष्य सिर्फ और सिर्फ जीत हासिल करना ही होता है। इसके लिए जो करना पड़े हो भी जाता है। यह उदाहरण इसलिए कि आने वाले समय में छत्तीसगढ़ की राजनीति में स्थानीय चुनाव जोर पकड़ने वाला है। आने वाले दिनों नहीं एक या फिर दो दिनों के भीतर ही आचार संहिता की घोषणा भी हो सकती है। चुनावी माहौल में ईडी ने शराब घोटाले की जांच को विस्तार देते हुए कहीं पूर्व सीएम भूपेश बघेल को समंस जारी कर दिया तब क्या होगा। छत्तीसगढ़ की राजनीति में आने वाले उबाल की फिलहाल कल्पना ही की जा सकती है। ठीक-ठीक कहना अभी से जल्दबाजी होगी और राजनीति में भविष्यवाणी करना भी उचित नहीं होगा।




सियासत की चाल किस अंदाज में क्षत्रप चलते हैं यह कहना फिलहाल मुश्किल ही जान पड़ रहा है। इतना तो तय है कि दो हजार करोड़ से अधिक के शराब घोटाले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ती जा रही है और ईडी के जांच का दायरा जिस अंदाज में फैलते जा रहा है उससे संभावना तो लगाई ही जा सकती है कि आने वाले दिनों में क्या होना वाला है या फिर ईडी की नजर किस तरह जाकर टिकने वाली है। शराब घोटाले की जांच के बीच सत्ताधारी दल भाजपा व कांग्रेस के रणनीतिक चुनावी मोड में भी आने लगे हैं। चुनावी मोड के बीच ईडी का सियासी धमाका हो गया तब क्या होगा। कहने का मतलब ये कि ईडी के चंगुल में फंसे कवासी लखमा ने कुछ भी कह दिया तब आगे क्या होगा। आगे का मतलब छत्तीसगढ़ की राजनीति फिर किस दिशा में जाएगी, फिलहाल तो अंदाज ही लगा सकते हैं।


लखमा के बयान पर उस दौर के अफसर से लेकर दिग्गज नेताओं का राजनीतिक भविष्य टिका हुआ है। राजनीति के साथ ही सार्वजनिक भविष्य और साख। सब-कुछ दांव पर है। इधर लखमा की जुबान खुली या फिर फिसली और इधर एक झटके में साख पर बट्टा लगा। यह तो तय है। कोई ना कोई घेरे में आएंगे जरुरी। सियासत के इस दौर में एक सवाल यह भी उठ रहा है कि ईडी ने कहीं पूर्व सीएम को अपने घेरे में ले लिया तब क्या होगा। सियासत को नजदीक से देखने वाले और तेजी के बदले राजनीति रंग को भांपने वालों को तो कुछ-कुछ इसी बात की आशंका होने लगी है।
0 विधानसभा चुनाव के दौर में भी उठी थी यहीं बातें
विधानसभा चुनाव के ठीक पहले और चुनावी दौर में कुछ इसी तरह की बातें उठी थी और आशंका भी इसी अंदाज में जताई जा रही थी।

हालांकि तब कुछ नहीं हुआ। तब और मौजूदा दौर में काफी फर्क भी आ गया है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ में भाजपा सत्तासीन है और केंद्र में भाजपा की मजबूत सरकार है। छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार जीरो टालरेंस को टारगेट कर चल रही है। पीएम मोदी के संकल्पों और वायदों को पूरा करने की दिशा में जोर लगा रही है। शराब घोटाले की जांच में जैसे-जैसे तेजी आ रही है और ईडी का दायरा बढ़ते जा रहा है उसी अंदाज में घोटाले में परोक्ष अपरोक्ष रूप से शामिल नेता व अफसरों की धड़कनें भी बढ़ने लगी है।

प्रधान संपादक