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छतीसगढ़ी भाषा हमर महतारी के ग़ुरतुर भाषा हे… डॉ फूल दास महंत


बिलासपुर, 28.नवंबर 2024
छत्तीसगढ़ राज्य को स्थापित हुवे 24वर्ष हो गए,।छत्तीसगढ़ सरकार में डॉ रमनसिंह के मुख्य मंत्रित्व काल में छत्तीसगढ़ की प्रमुख बोली छतीसगढ़ी को 28नवंबर 2007को विधान सभा ने सर्व सम्मति से “छतीसगढ़ी राज भाषा “के रूप में घोषित कर आज से 17वर्ष पहले भाषा का दर्ज़ा राज्य में दे दिया है। किंतु केंद्र सरकार ने इसे 8 वीं अनुसूची में नहीं जोड़ा है।छत्तीसगढ़ केवल नाम के लिए नहीं बल्कि खनिज संपदा ,ईंधन,बिजली सभी के लिए सक्षम है,छतीसगढ़ ऐसा राज्य है जहां से देश को कई मायने में मदद मिलती है,यहां के लोग श्रमिक वर्ग के जरूर हैं पर आज हर क्षेत्र में अपनी सरल स्वभाव जो उन्हें प्रकृति से ,नदी नाले,पहाड़,झरना, जंगल से मिला है इसी का प्रभाव है छत्तीसगढ़िया सरल,शांत,और मायारुक होता है। प्रत्येक छत्तीसगढ़िया की भाषा छतीसगढ़ी उसे छत्तीसगढ़ महतारी के पेट से जन्मजात मिला हुआ है।आज से 1000वर्ष पहले से यहां के मूर्धन्य साहित्यकार लोग इस भाषा को अपने व्यवहार की भाषा के रूप में प्रयोग करते थे,संविधान के सम्मान में लेखन कार्य हिंदी भाषा में हुवा करता था,पर आज तो यह राज्य की भाषा बनकर आकाशवाणी,दूरदर्शन,विश्वविद्यालयों में अध्यापन, पठन पाठन में ,विधान सभा के संचालन में प्रयोग में लाई जा रही है,तब तो जरूरी हो गया है कि डबल इंजन की सरकार को शीघ्र ही छत्तीसगढ़ की छतीसगढ़ी भाषा को 8वीं अनुसूची में जोड़कर केंद्र सरकार भाषा का दर्ज़ा दे,यह आग्रह नवीन शासकीय महाविद्यालय सकरी के युवा छात्राओं ने छतीसगढ़ी भाषा के प्रति प्रेम प्रकट करते हुवे निवेदन किया गया है।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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