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September 10, 2025 4:47 am

R.O. N0.17

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छत्तीसगढ़ में 10,538 शालाओं का युक्तियुक्तकरण पूर्ण- 16,165 शिक्षक एवं प्राचार्य हुए समायोजित

अब कोई भी विद्यालय शिक्षक विहीन नहीं, एकल-शिक्षकीय विद्यालयों की संख्या घटी

रायपुर. छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी युक्तियुक्तकरण निर्देशों के प्रावधानों के तहत राज्य में व्यापक युक्तियुक्तकरण की कार्यवाही की गई है।

इस प्रक्रिया के अंतर्गत एक ही परिसर में संचालित 10,372 शालाओं तथा ग्रामीण क्षेत्रों में एक किलोमीटर से कम दूरी पर और शहरी क्षेत्रों में 500 मीटर से कम दूरी पर संचालित 166 शालाओं को मिलाकर कुल 10,538 शालाओं का युक्तियुक्तकरण किया गया है।

इस बड़े कदम के फलस्वरूप 16,165 शिक्षकों एवं प्राचार्यों का समायोजन किया गया है। अब प्रदेश का कोई भी विद्यालय शिक्षक-विहीन नहीं है।

उल्लेखनीय है कि पहले जहां 5,936 विद्यालय एकल-शिक्षकीय थे, वहीं युक्तियुक्तकरण के बाद केवल 1,207 प्राथमिक शालाएँ शिक्षकों की अनुपलब्धता के कारण एकल-शिक्षकीय रह गई हैं।

स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा अतिशेष शिक्षकों का चिन्हांकन विषयवार किया गया है। यदि किसी संस्था में किसी एक विषय का शिक्षक अतिशेष पाया गया, किन्तु उसी संस्था में सेटअप के आधार पर किसी अन्य विषय का पद रिक्त था, तो ऐसे अतिशेष शिक्षक का युक्तियुक्तकरण करते हुए आवश्यकता के आधार पर रिक्त विषय के पद पर उस विषय के शिक्षक की पदस्थापना की गई है।

युक्तियुक्तकरण निर्देशों के अंतर्गत, शालाओं में पदस्थापना तिथि के आधार पर अतिशेष शिक्षकों का चिन्हांकन किया गया है। इस दौरान विषय, विकलांगता तथा परिवीक्षा अवधि जैसे कारकों का भी विशेष ध्यान रखा गया।

इसके अलावा, अतिशेष शिक्षकों की गणना उनकी सेवा पुस्तिका में दर्ज मूल विषय के आधार पर की गई है।

जिन शिक्षकों ने युक्तियुक्तकरण के पश्चात कार्यमुक्त होकर नवीन पदस्थापना स्थल में कार्यभार ग्रहण कर लिया है, उनके वेतन आहरण की कार्यवाही पूर्व पदस्थ संस्था से प्राप्त अंतिम वेतन प्रमाणपत्र के आधार पर की जा रही है।

इसी तरह, युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया के दौरान विभिन्न शिक्षकों से प्राप्त अभ्यावेदन (जिनमें न्यायालयीन प्रकरण भी सम्मिलित हैं) पर शासन गंभीरता से परीक्षण कर रहा है। इन प्रकरणों की जांच संभागीय आयुक्त की समिति, संचालनालय स्तरीय समिति एवं शासन स्तरीय समिति में की जा रही है और शीघ्र ही इनका निराकरण कर लिया जाएगा।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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