रायपुर,नई दिल्ली।छत्तीसगढ़ की पावन धरा में जन्मे वरिष्ठ साहित्यकार भाषाविद् व्याकरणाचार्य शिक्षाविद् एवं संगीतकार डॉ. चित्तरंजन कर को केन्द्रीय गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग द्वारा रेल मंत्रालय रेलवे बोर्ड की हिंदी सलाहकार समिति का सदस्य नामित किया गया है।
डॉ. कर का शैक्षणिक और साहित्यिक योगदान अत्यंत समृद्ध रहा है। वे एक ही जीवन में तीन विषयों के प्रोफेसर रहने का गौरव प्राप्त कर चुके हैं। वर्ष 1978 से उन्होंने राजीव लोचन महाविद्यालय राजिम में साढ़े छह वर्षों तक हिंदी प्राध्यापक के रूप में कार्य किया। तत्पश्चात 1984 से पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर में 26 वर्षों तक भाषाविज्ञान का अध्यापन किया और प्रोफेसर एवं अध्यक्ष साहित्य एवं भाषा अध्ययनशाला तथा अधिष्ठाता कला संकाय के पद से सेवानिवृत्त हुए।
निवृत्ति के पश्चात उन्होंने गुरू घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर के अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विभाग में मानद प्रोफेसर के रूप में सेवाएं दीं। इसके बाद उड़ीसा केंद्रीय विश्वविद्यालय कोरापुट में अंग्रेजी विभाग के कंसल्टेंट प्रोफेसर और भाषा संकाय के अधिष्ठाता रहे। वर्तमान में वे हिंदी के आधुनिक व्याकरण की रचना में संलग्न हैं।
डॉ. कर की अब तक लगभग 40 कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्होंने 2 डी.लिट् 28 पी-एच.डी.250 एम.फिल. शोधार्थियों का निर्देशन किया है तथा 150 से अधिक शोधपत्रों का प्रकाशन भी किया है।
उनकी इस उपलब्धि पर साहित्यिक एवं सांस्कृतिक जगत ने प्रसन्नता व्यक्त की है। समन्वय साहित्य परिवार छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष डॉ. देवधर महंत, साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष शशांक शर्मा हिंदी साहित्य भारती छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष बलदाऊराम साहू कवि-कथाकार बसंत राघव तथा संस्कृतिकर्मी राजीव नयन शर्मा सहित अनेक साहित्यप्रेमियों ने उन्हें बधाई दी है।
छत्तीसगढ़ का गौरव माने जाने वाले डॉ. चित्तरंजन कर वास्तव में विद्या विनयेन शोभते की उक्ति को चरितार्थ करते हैं।

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