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June 1, 2025 4:02 am

R.O.NO.-13250/13

विभागीय जांच के बिना बर्खास्तगी आदेश को हाई कोर्ट ने किया रद्द, याचिकाकर्ता को सेवा में रखने जारी किया निर्देश


बिलासपुर। बालोद जिला कोर्ट में पदस्थ कर्मचारी को 9 साल बाद अब जाकर राहत मिली है। वर्ष 2016 में शादी के लिए 7 दिन का अवकाश लेकर लौटने पर उन्हें अनुपस्थिति के आरोप में सेवा से बर्खास्त कर दिया था। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने बर्खास्तगी आदेश को निरस्त करते हुए सेवा में बहाल करने व बकाया वेतन के रूप में 50 फीसदी राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया है।
राजेश देशमुख परीवीक्षा अवधि में काम कर रहे थे। निर्धारित अवकाश अवधि के तीन दिन बाद ड्यूटी पर लौटे थे। इस पर उसे नोटिस जारी किया, जिसका जवाब भी याचिकाकर्ता ने दिया था। बावजूद इसके, विभाग ने जवाब को संतोषजनक न मानते हुए सेवा से बर्खास्तगी का आदेश जारी कर दिया था।
राजेश देशमुख ने इस कार्रवाई को लेकर हाई कोर्ट में चुनौती दी। सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता के पक्ष में यह तर्क दिया गया कि परीवीक्षा अवधि में होने के बावजूद बिना जांच के किसी कर्मचारी को सेवा से हटाया नहीं जा सकता। सिर्फ अनुपस्थिति के आधार पर कठोर दंड देना न्यायोचित नहीं है।
मामले की सुनवाई जस्टिस संजय ए अग्रवाल के सिंगल बेंच में हुई। कोर्ट ने यह मानते हुए कि विभागीय जांच आवश्यक थी, बर्खास्तगी आदेश को रद्द कर दिया। कोर्ट ने निर्देश दिया कि राजेश देशमुख को सेवा में पुनः लिया जाए और उन्हें 50 प्रतिशत वेतन बकाया के रूप में प्रदान किया जाए। आदेश की प्रति जिला न्यायालय बालोद पहुंचते ही जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने तत्काल प्रभाव से राजेश देशमुख की पुनर्नियुक्ति कर दी। इस तरह, नौ वर्षों की लंबी प्रतीक्षा के बाद देशमुख को न्याय मिला।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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