बिलासपुर. छत्तीसगढ़ ।जिला सरगुजा तहसील अंबिकापुर ग्राम दोरना निवासी सुरेश टोप्पो और आजाद टोप्पो ने आयुक्त सरगुजा संभाग के 20 फरवरी 2025 के आदेश को चुनौती देते हुए अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी और अभ्युदय त्रिपाठी के जरिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. सेकोर्ट ने कमिश्नर सरगुजा संभाग के आदेश पर अगली सुनवाई तक के लिए रोक लगा दि है
ग्राम करेसर स्थित कृषि भूमि 3.34 एकड़ में से 1.352 हेक्टर भूमि क्रेता विराट देवी और विक्रेता देवसाय ने वर्ष 1991 रजिस्ट्री कराय था. देवसाय की पैतृक भूमि दादा किसान गोड के पुत्र तोरगे एवं नान गोड थे, तोरगे की मृत्यु निसंतान हो गई थी, प्रतिवादी देवसाय,नान गोड का एकमात्र पुत्र एवं किसान गोड का एकमात्र जीवित उत्तराधिकारी है, उत्तरवादी देवसाय द्वारा अनुविभागीय अधिकारी अंबिकापुर के समक्ष भू राजस्व संहिता की धारा 170 ख के तहत अनुसूचित जनजाति की भूमि का गैर अनुसूचित जनजाति चंद्रिका प्रसाद के द्वारा अनुसूचित जनजाति की महिला विराट देवी जाति गोड के नाम पर अंतरण को शून्य घोषित करने हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया, जिसकी सुनवाई करते हुए अनुविभागीय अधिकारी राजस्व अंबिकापुर द्वारा अपने आदेश दिनांक 20 अक्टूबर 2014 को देवसाय और विराट देवी जाति गोड के मध्य हुए अंतरण को शून्य घोषित करते हुए, वाद भूमि को देवसाय को वापस किए जाने का आदेश पारित किया गया जिससे परिवेदित होकर, चंद्रिका प्रसाद और विराट देवी द्वारा अपील, न्यायालय कलेक्टर अंबिकापुर के समक्ष प्रस्तुत की जिसकी सुनवाई 20 जनवरी 2016 को हुई, न्यायालय कलेक्टर द्वारा अपील स्वीकार करते हुए अनुविभागीय अधिकारी राजस्व अंबिकापुर के आदेश को त्रुटि पूर्ण मानते हुए निरस्त कर दिया गया, देवसाय द्वारा कलेक्टर अंबिकापुर जिला सरगुजा के आदेश के विरुद्ध पुनरीक्षण याचिका आयुक्त सरगुजा संभाग के समक्ष प्रस्तुत किया गया प्रकरण की लंबनकाल में विराट देवी द्वारा वाद भूमि का अंतरण सुरेश टोप्पो और आजाद टोप्पो को कर दिया गया था जिसके कारण उपरोक्त दोनों को पुनरीक्षण याचिका में पक्षकार बनाया गया था,

आयुक्त सरगुजा संभाग द्वारा पुनरीक्षण याचिका की सुनवाई करते हुए दिनांक 20 फरवरी 2025 को पुनरीक्षण याचिका स्वीकार करते हुए कलेक्टर अंबिकापुर के आदेश 20 जनवरी 2016 को निरस्त कर दिया गया. सुरेश टोप्पो और आजाद टोप्पो आयुक्त सरगुजा संभाग के आदेश दिनांक 20 फरवरी 2025 से परिवेदित होकर हाईकोर्ट अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी और अभ्युदय त्रिपाठी के माध्यम से याचिका प्रस्तुत की जिसकी सुनवाई जस्टिस ए.के. प्रसाद के कोर्ट में हुई .
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी द्वारा यह आधार लिया गया कि, विराट देवी और याचिकाकर्ता सुरेश टोप्पो और आजाद टोप्पो जाति गोड अनुसूचित जनजाति के हैं इसलिए इनके द्वारा कोई भी धोखाधड़ी नहीं की गई है तथा उत्तरवादी देवसाय द्वारा 21 वर्ष बाद विक्रयनामा को निरस्त करने हेतु आवेदन प्रस्तुत करना सरासर गलत है उपरोक्त आधारों पर माननीय न्यायालय ने आयुक्त सरगुजा संभाग के आदेश दिनांक 20 फरवरी 2025 को अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है और उत्तरवादीगण को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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