वेटिंग इन मिनिस्टर: हताशा के अलावा और कुछ नहीं




मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय मंत्रिमंडल के बहुप्रतीक्षित विस्तार को लेकर बीते छह महीने से चर्चा चल ही रही है। चर्चा का दौर है कि खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। चर्चा और अटकलबाजी के बीच उनकी तो सोचिए जो वेटिंग मिनिस्टर हैं। उनकी वेटिंग का तो इंतहा हो रही है। पता नहीं क्या सोचते होंगे और फिर क्या-क्या विचार मन में आता होगा। इसे हताशा कहें तो भी किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। कहते तो यही हैं कि इंतजार का मजा ही कुछ और होता है, पर यह तो हद ही हो गई। पता नहीं कहां और किस तरह पेंच फंस जा रहा है। आपको शायद पता ही होगा। पेंच कहीं और से नहीं और किसी और और ने नहीं। अपने ही फंसा रहे हैं। थोड़ा मंथन करेंगे,अगल-बगल झांकेंगे तो आप ही शायद अंदाजा लगा सकते हैं। बहरहाल एक बार फिर टाइम दिया जा रहा है। 15 या फिर 18 अप्रैल। वैसे भी हमने तो 18 अप्रैल ही तय किया है। राजभवन में तैयारी के बाद पता नहीं कहां क्या हो जाता है, टल ही जा रहा है। अब तो सवाल उठाने वाले यह भी उठा रहे हैं कि पांच साल तक ऐसे ही लालीपाप तो नहीं दे रहे। पता नहीं आगे क्या होगा। तभी तो कहते हैं मोहब्बत, जंग और राजनीति में सब-कुछ जायज है।



क्लोजर रिपोर्ट: ये तो राहत वाली बात है

छत्तीसगढ़ के एक तेज तर्रार आईपीएस मौजूदा दौर में इससे बड़ी और अच्छी खबर कुछ नहीं हो सकती। जी हां गुड न्यूज ही तो है। एक पुराने चर्चित मामले में ईओडब्ल्यू ने क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दी है। मतलब साफ है कि आईपीएस के राह का एक बड़ा रोड़ा हट गया है। सुशासन तिहार के बाद जिला बदलने की चर्चा भी हो रही है। आईएएस और आईपीएस की एक लिस्ट निकलेगी। किसी बड़े जिले में आईपीएएस के जाने की चर्चा भी हो रही है। लाबी के बीच यह कानाफूसी भी तेज है कि साहब अपनी मर्जी के अनुसार जिले में जाएंगे। कानाफूसी में दम भी है। राजधानी के आला अफसरों से साहब के रिश्ते बेहतर हैं। कमेस्ट्री अच्छी होती है तो सियासत का अंदाज भी उसी के अनुरुप दिखाई देता है। चर्चा पर भरोसा करें तो क्लोजर रिपोर्ट के बाद साहब को बड़े जिले का तोहफा मिल सकता है।
वायरल सूची पर चर्चा जरुरी

विधानसभा चुनाव का दौर आपको याद होगा। भाजपा में टिकट वितरण का दौर चल रहा था। टिकट फाइनल होने से पहले एक सूची वायरल हुई थी। वायरल सूची को लेकर तब चर्चा का बाजार गर्म था कि भाजपा ने जानबुझकर इसे पब्लिक डोमेन में फेंका है। तब यह भी कहा गया था कि यह भाजपा का अपना स्टाइल है। सर्वे के अलावा उन नामों को बाहर का रास्ता दिखाना जिस पर भरोसा नहीं। स्टाइल पर बहस भी छिड़ी और दावे भी खूब हुए। सिवाय तीन नाम को छोड़कर वायरल सूची रियल हो गई। तीन नामों को होल्ड पर रखा गया था। वही तीन नाम जो वायरल सूची में था होल्ड ही रह गया। ठीक वैसे ही एक सूची इन दिनों फिर वायरल हो रही है। तीन मंत्रियों और संसदीय सचिवों की सूची जमकर वायरल हो रही है। फिर बहस और दावों का दौर। अब देखने वाली बात ये होगी वायरल सूची रियल बनती है या फिर विधानसभा चुनाव के दौर की तरह कुछ नामों को होल्ड पर रखा जाता है।
सुशासन तिहार,अपनों के बीच पहुंचने का बड़ा मौका
अधिकारी गांव-गांव, पांव-पांव, आपकी सरकार आपके द्वार, जैसे योजनाओं को लोगों ने खूब देखा है और परखा भी है। विष्णुदेव साय की सरकार ने नए अंदाज में लोगों की समस्याओं को जानने और निपटारा करने का निर्णय लिया है। नाम दिया है सुशासन तिहार। जी हां सरकार और सरकारी महकमा इसे तिहार के रूप में ही मना रहे हैं। नाम देने और तिहार के रूप में मनाने के पीछे के अपने कई कारण हैं। सरकारी महकमे को यह ना लगे कि वे ड्यूटी कर रहे हैं। तिहार के रूप में इसे लें और लोगो के आवेदन को लेने के बाद उसी अंदाज में निपटारा भी करें। विष्णुदेव साय सरकार का अंदाजा अपने आप में अनोखा और निराला है। अपनों के बीच पहुंचने का इससे अच्छा अवसर भला और कोई हो सकता है।
0 अटकलबाजी
0 मंत्रिमंडल विस्तार में फिर कहां से पेंच फंस गया। किसने फंसाया पेंच। वेटिंग इन मिनिस्टर के आसपास के लोग तो कहीं रोड़ा नहीं अटका रहे। लोकसभा चुनाव के दौर को याद करिए और अंदाजा लगाइए कहीं वो तो नहीं।
0 सरपंच पतियों को तो हमने और आपने सत्ता में भागीदारी करते देखा भी है और खूब पढ़ा भी है। एक पार्षद पति भी हैं जो सत्ता की चमक से अपने आपको रोक नहीं पाए और सीधे एमआईसी मीटिंग में जा बैठे।

प्रधान संपादक