बिलासपुर।छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि रिटायरमेंट के बाद किसी भी शासकीय अधिकारी व कर्मचारी से रिकवरी नहीं की जा सकती। जस्टिस एके प्रसाद के सिंगल बेंच ने अपने फैसले में लिखा है कि किसी भी शासकीय अधिकारी / कर्मचारी के रिटायरमेन्ट के एक वर्ष पूर्व या रिटायरमेन्ट के पश्चात् पूर्व के सेवा वर्षों में वेतनवृद्धि गलत तरीके से जुड़ जाने व अधिक वेतन भुगतान को कारण बताते हुए वसूली नहीं की जा सकती।
ताराचंद पटेल, सोहनलाल साहू, ग्रिगोरी तिर्की, टेल्सस एक्का ने अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं स्वातिरानी शराफ के माध्यम से हाई कोर्ट बिलासपुर के समक्ष रिट याचिका दायर कर वसूली आदेश को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा है कि सेवानिवृत्ति के कुछ माह बाद संभागीय संयुक्त संचालक, बिलासपुर द्वारा उनके विरूद्ध रिकवरी का आदेश जारी कर दिया था। सेवाकाल के दौरान गलत वेतन नियतन के कारण अधिक वेतन का भुगतान करने काे कारण बताया। याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्टेट ऑफ पंजाब विरुद्ध रफीक मसीह के वाद में वर्ष 2015, सुप्रीम कोर्ट द्वारा थॉमस डेनियल विरूद्ध स्टेट ऑफ केरला, हाई कोर्ट बिलासपुर की डिवीजन बेंच द्वारा छत्तीसगढ़ शासन एवं अन्य विरूद्ध एल.आर. ध्रुव के वाद में यह न्यायदृष्टांत का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी शासकीय अधिकारी / कर्मचारी के रिटायरमेन्ट के एक वर्ष पूर्व या रिटायरमेन्ट के पश्चात् पूर्व के सेवा वर्षों में वेतनवृद्धि गलत तरीके से जुड़ जाने के कारण उसे अधिक वेतन भुगतान हुआ है, किसी भी प्रकार की अधिक भुगतान की वसूली नहीं की जा सकती है।

मामले की सुनवाई जस्टिस एके प्रसाद के सिंगल बेंच में हुई। सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में रफीक मसीह, थॉमस डेनियल के वाद में पारित न्यायदृष्टांतों के आधार पर उक्त रिट याचिका को स्वीकार कर याचिकाकर्ताओं के विरूद्ध जारी वसूली आदेश को निरस्त कर दिया है।
मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने संभागीय संयुक्त संचालक, कोष-लेखा एवं पेंशन, बिलासपुर एवं पुलिस अधीक्षक रायगढ़ को नोटिस जारी कर याचिकाकर्ताओं से वसूली गई राशि व रोके गए देयकों का तत्काल भुगतान करने का निर्देश दिया है।

Author: Ravi Shukla
Editor in chief