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March 20, 2025 8:38 pm

IAS Coaching

गेवरा बस्ती के एक व्यक्ति द्वारा एसईसीएल पर लगाया रोजगार न देने का आरोप का एसईसीएल प्रबंधन ने किया खंडन

बिलासपुर, 08 मार्च: गेवरा बस्ती के एक व्यक्ति ने मीडिया को जानकारी देते हुए आरोप लगाया है कि उन्हें दक्षिण पूर्व कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) द्वारा रोजगार नहीं दिया जा रहा है। व्यक्ति ने इस संबंध में लिखित विवरण भी उपलब्ध कराया है।

एसईसीएल के जनसंपर्क अधिकारी, सनीश चंद्र ने इस विषय पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा

कि कंपनी की नीतियों के अनुसार पात्र व्यक्तियों को नियमानुसार रोजगार दिया जाता है। उन्होंने आगे बताया कि मामला यदि वास्तविक है, तो संबंधित विभाग द्वारा जांच की जाएगी और नियमानुसार उचित कार्रवाई की जाएगी।

एसईसीएल हमेशा प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदनशील रहा है और सरकारी दिशानिर्देशों के अनुरूप कार्य करता है। यदि किसी व्यक्ति को कोई शिकायत है, तो वह कंपनी के संबंधित विभाग से संपर्क कर सकता है।

क्या है आरोप

बिलासपुर। एसईसीएल (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) में भू-अर्जन के बदले नौकरी में बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। कोरबा से आए पीड़ितों ने शुक्रवार को बिलासपुर प्रेस क्लब में पत्रकारों के सामने अपनी आपबीती सुनाई। उन्होंने बताया कि अधिकारियों की मिलीभगत से अपात्र लोगों को नौकरी दी गई, जबकि असली हकदार आज भी न्याय के लिए भटक रहे हैं।

जीवित व्यक्ति को मृत बताकर नौकरी बेची

पीड़ित मुकरदम ने बताया कि उनके नाम पर गेवरा क्षेत्र के जुनाडीह गांव में 5 डिसमिल जमीन है, जिसके बदले उनके पुत्र को नौकरी मिलनी थी। इसके लिए उन्होंने गेवरा प्रोजेक्ट में कार्यरत प्रमोद कुमार शर्मा और अरुण पांडे को ₹20,000 भी दिए थे। कुछ दिन बाद प्रमोद कुमार शर्मा मूल ऋण पुस्तिका यह कहकर ले गया कि यह नौकरी के लिए जरूरी है। कई वर्षों तक टालमटोल के बाद जब मुकरदम 2006 में एसईसीएल कार्यालय पहुंचे, तो पता चला कि उन्हें मृत घोषित कर दिया गया है और उनकी जमीन के बदले प्रदीप कुमार शर्मा (पिता- कांशी प्रसाद शर्मा) को नौकरी दे दी गई है।

हैरानी की बात यह है कि प्रदीप कुमार शर्मा और मुकरदम के बीच कोई संबंध नहीं है। मुकरदम मुस्लिम हैं, जबकि प्रदीप ब्राह्मण जाति से हैं। सवाल यह उठता है कि जब मुकरदम जीवित हैं, तो उनका मृत्यु प्रमाण पत्र कैसे बना और फौती नामांतरण कैसे हुआ? उन्होंने बताया कि प्रमोद कुमार शर्मा ने, जो पहले से ही गेवरा प्रोजेक्ट में कार्यरत था, अपने भाई प्रदीप को इस नौकरी में सेट करवा दिया। जब मुकरदम को सच्चाई पता चली और उन्होंने शिकायत की, तो उन्हें जान से मारने की धमकियां दी गईं। उन्होंने पुलिस और एसईसीएल के सीएमडी से शिकायत की, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

फर्जी दस्तावेजों से बेची नौकरी

दूसरे पीड़ित ईश्वर दत्त कश्यप ने बताया कि उनकी बहन सरोज बाई के नाम पर ग्राम मनगांव, तहसील दीपिका, जिला कोरबा में 81 डिसमिल जमीन थी। इसके बदले उनके पति रामचरण को गेवरा प्रोजेक्ट में नौकरी दी गई थी। लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों ने षड्यंत्रपूर्वक सरोज बाई का पुत्र बताकर विजय कुमार पिता जगदीश प्रसाद को नौकरी दे दी।

वास्तविक खसरा नंबर 378/12 था, लेकिन फर्जी तरीके से 387/12 अंकित कर फर्जी नियुक्ति पत्र जारी कर दिया गया, जबकि खसरा नंबर 387/12 कंपनी द्वारा अधिग्रहित ही नहीं किया गया था। इस फर्जीवाड़े की पोल तब खुली जब यह सामने आया कि सरोज बाई की उम्र विजय कुमार से कम है। इसके अलावा, विजय कुमार के असली माता-पिता सरकारी सेवा में थे और उनकी सेवा पुस्तिका में उनकी असली मां का नाम दर्ज था।

शिकायतों के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई

दोनों पीड़ितों ने इस घोटाले की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय, पुलिस विभाग और एसईसीएल अधिकारियों से की, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। आरटीआई के तहत मांगे गए दस्तावेज भी उन्हें नहीं दिए गए। महाप्रबंधक के पत्र क्रमांक 3326, दिनांक 20.12.2024 से स्पष्ट होता है कि सभी दस्तावेज कार्यालय में ही मौजूद हैं, लेकिन उन्हें दबाया जा रहा है।

पीड़ितों ने मांग की है कि इस घोटाले की उच्चस्तरीय जांच करवाई जाए और दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि असली हकदारों को न्याय मिल सके।

Ravi Shukla
Author: Ravi Shukla

Editor in chief

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