बिलासपुर। प्रदेश के पेट्रोल पंप संचालकों के लिए राहतभरी खबर आई है। अब पेट्रोल पंपों को फूड लाइसेंस लेने की अनिवार्यता से छूट मिल गई है। इस संबंध में बेलतरा विधायक सुशांत शुक्ला द्वारा विधानसभा में उठाए गए सवाल के बाद सरकार ने आवश्यक कार्रवाई करते हुए यह निर्णय लिया है।

दरअसल, छत्तीसगढ़ मोटर स्पिरिट एवं हाई स्पीड डीजल ऑयल (अनुज्ञापन तथा नियंत्रण) आदेश, 1980 के तहत पेट्रोलियम उत्पादों की खुदरा बिक्री के लिए फूड लाइसेंस आवश्यक था। इस नियम की विसंगतियों को ध्यान में रखते हुए विधायक सुशांत शुक्ला ने पिछले बजट सत्र में विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया था।
विधानसभा में उठाया था सवाल

विधायक सुशांत शुक्ला ने खाद्य मंत्री से स्पष्ट रूप से पूछा था कि क्या पेट्रोल पंपों के लिए फूड लाइसेंस अनिवार्य है? यदि हां, तो यह किस नियम और अधिनियम के तहत लागू किया गया था? साथ ही, उन्होंने यह भी जानना चाहा कि क्या इस नियम को समाप्त करने का कोई प्रस्ताव सरकार के समक्ष लंबित है और यदि हां, तो इसे कब तक हटाया जाएगा?
खाद्य मंत्री ने दिया था आश्वासन
विधानसभा में विधायक के सवाल के जवाब में खाद्य मंत्री दयालदास बघेल ने बताया था कि आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 3 के अंतर्गत यह प्रावधान लागू किया गया था। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि इस नियम को समाप्त करने की प्रक्रिया जारी है।
अब नहीं लगेगा फूड लाइसेंस
विधायक की पहल के बाद खाद्य विभाग ने पेट्रोल पंपों के लिए फूड लाइसेंस की अनिवार्यता समाप्त कर दी है। इससे प्रदेश के सैकड़ों पेट्रोल पंप संचालकों को बड़ी राहत मिलेगी और अनावश्यक लाइसेंस प्रक्रिया से मुक्ति मिलेगी।
विधायक सुशांत शुक्ला ने इस फैसले पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि “यह निर्णय पेट्रोल पंप संचालकों के हित में है। अनावश्यक नियमों से व्यवसायियों को परेशान नहीं किया जाना चाहिए। मैं आगे भी व्यापारियों की समस्याओं को लेकर सरकार के समक्ष आवाज उठाता रहूंगा।”

अधिमान्य पत्रकार छत्तीसगढ़ शासन