बिलासपुर। रायपुर के मोवा रेलवे अंडरब्रिज के नीचे कचरे और जलभराव की समस्या तथा रेलवे बाल उद्यान की दुर्दशा को लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में जनहित याचिका पर सुनवाई जारी है। मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविंद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ में हुई सुनवाई में रेलवे की ओर से शपथपत्र दाखिल किया गया, जिसमें समस्याओं के समाधान के लिए आवश्यक कार्रवाई शुरू करने का आश्वासन दिया गया। हाई कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 20 मार्च 2025 की तारीख तय की है। मोवा रेलवे अंडरब्रिज के नीचे पानी और कचरे के जमाव तथा रेलवे बाल उद्यान की दयनीय स्थिति को लेकर समाचार पत्रों में रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी। इन रिपोर्टों का संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट ने जनहित याचिका के रूप में सुनवाई शुरू की थी।
पिछली सुनवाई में राज्य शासन की ओर से स्पष्ट किया गया था कि गांधी शिशु उद्यान भारतीय रेलवे की संपत्ति है और इसका निर्माण तथा रखरखाव भारतीय रेलवे द्वारा किया जाता है। इसी तरह, मोवा अंडरब्रिज भी रेलवे की संपत्ति है और उसका प्रबंधन भी रेलवे ही करता है। हालांकि, रायपुर नगर निगम ने पुल के नीचे और आसपास के कचरे को पहले ही साफ कर दिया है।

रेलवे ने दिए सफाई और सुधार के निर्देश-
हाई कोर्ट ने इस मामले में मंडल रेल प्रबंधक, रायपुर को पक्षकार बनाते हुए व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। मंगलवार को रेलवे की ओर से शपथपत्र पेश कर बताया गया कि बाल उद्यान की स्थिति सुधारने और अंडरब्रिज की सफाई व्यवस्था को बेहतर बनाने की कार्रवाई की जा रही है। डिवीजन बेंच ने रेलवे के हलफनामे को संज्ञान में लेते हुए अगली सुनवाई की तारीख 20 मार्च 2025 तय की है। इस दौरान रेलवे को अपनी प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी और साफ-सफाई समेत अन्य सुधार कार्यों की जानकारी देनी होगी। यह मामला हाई कोर्ट की निगरानी में है, जिससे रेलवे और नगर निगम को अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से निभाने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

Author: Ravi Shukla
Editor in chief