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March 12, 2025 4:44 pm

IAS Coaching

ए है विष्णु देव का सुशासन एक मजिस्ट्रेट न्याय पाने ख़ुद अपने विभाग का लगा रहे है चक्कर जिले के कप्तान भी अपने मातहत अधिकारियों के सामने है असहाय

बिलासपुर ।एक मजिस्ट्रेट (नायब तहसीलदार) और थाना प्रभारी तोप सिंह नवरंग के विवाद मामले में थाना प्रभारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने और झूठी रिपोर्ट से परेशान खुद एक मजिस्ट्रेट विभागीय चक्कर काटने पर मजबूर है। जहां तक मामले की खात्मा खारजी का सवाल है वो पुलिस कप्तान के अधीन है चाहे तो जल्द जाँच करवा कर दूध का दूध पानी कर सकते है लेकिन यहाँ एक मजिस्ट्रेट जिस तरीक़े से प्रशासन के ख़िलाफ़ मीडिया के सामने अपनी बात रख रहा है उससे बहुत से सवाल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर उठ रहे है ।प्रशासन को इसे गंभीरता से लेना चाहिए ।ऐसे मामलो पर विराम लगाना चाहये ।

सवाल तो यह है कि खुद एक मजिस्ट्रेट को न्याय नहीं मिल रहा तो प्रदेश के मुख्यमंत्री की सुशासन वाली सरकार सोचने पर मजबूर करती है ।पहले और अब की सरकार में कोई विशेष फर्क नहीं दिखता या तो अफसर सरकार के नियंत्रण से बाहर है ।या तो फिर थानेदार पुलिस कप्तान के नियंत्रण से बाहर है ।ऐसा इसलिए कि पहले के पुलिस कप्तान ना ही रोज़ सुबह थानेदार से ब्रीफ़ लेते थे । बल्कि थाने में पदस्थ एसआई एएसआई और जरूरत पड़ती थी तो सिपाही से भी बात करके समस्त जानकारी ले लेते थे ।लेकिन समय के साथ बदलाव हुआ ।पुलिस कप्तान अपने मातहत अधिकारी add sp डीएसपी से ब्रीफ लेने लगे मतलब यहाँ ए कहना बेमानी नहीं होगी की प्रोटोकॉल मेंटेन करने लगे ।अब ऐसे में गड़बड़ी तो होगी ना ।क्यो इस बात से समझिए एक जिले के एसपी को फ़ोन करके मंत्री ने बोला आपने हमारे थानेदार को हटा दिया एसपी ने मंत्री को जवाब दिया थानेदार तो एसपी का होता है ।बस क्या था मंत्री जी समझ गए आज़ भी ऐसा ही हो रहा है ।कप्तान तो ईमानदार है जग जाहिर है पर उन्हें वही दिखाया जा रहा है ।जो उनके मातहत चाह रहे है ए अच्छा नहीं है ।शायद यही कारण है की एक नायब तहसीलदार को न्याय पाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है ।ए बहुत गंभीर बात है प्रशासन के लिए इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए जिम्मेदार पदो पर बैठने वालो को ।
सोचने वाली बात उन आम जनता की है उन्हें न्याय पाने कितनी मशक्कत करनी पड़ती होगी। दरअसल बस्तर के मजिस्ट्रेट (नायब तहसीलदार) पुष्पराज मिश्रा 17 नवम्बर की रात अपनी बीमार मां से मिलने बिलासपुर पहुंचे थे। सरकंडा के अशोक नगर के पास देर रात सरकंडा पुलिस की गश्त टीम नायब तहसीलदार पुष्पराज, उनके इंजिनियर भाई और रिटायर्ड पिता को रोककर पूछताछ के नाम पर जबरिया सरकंडा थाना ले गई। पुष्पराज द्वारा थाना लाए जाने का कारण पूछा गया तो थाना प्रभारी के आने की बात कहीं गई। इस पर नायब तहसीलदार मिश्रा ने थाना प्रभारी तोप सिंह नवरंग को फोन लगाकर थाना लाने का कारण पूछा और अपना परिचय दिया। नायब तहसीलदार के मुताबिक थाना प्रभारी ने उनसे पहले फोन पर बतमीजी की फिर थाने आकर उनके साथ धक्का मुक्की की जिसका सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया। इसके बाद पुलिस ने उलटा नायब तहसीलदार, उनके इंजिनियर भाई और पिता के विरुद्ध मामला दर्ज कर दिया गया। दूसरे ही दिन नायब तहसीलदार और उनके इंजिनियर भाई समेत तहसीलदार संघ ने कलेक्टर अवनीश शरण को पूरी आपबीती सुनाई और थाना प्रभारी के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई के साथ ही अपने ऊपर दर्ज मामले को खत्म करने की मांग की। कुछ दिन बाद थाना प्रभारी को लाइन अटैच तो कर दिया गया पर उन पर कड़ी कार्रवाई आजतक नहीं हुई और ना ही नायब तहसीलदार के विरुद्ध दर्ज मामले को खत्म नहीं किया गया। इससे परेशान नायब तहसीलदार और उनके इंजीनियर भाई एक महीने से अपने ही विभाग के चक्कर काटने पर मजबूर है। अब कहीं ना कहीं तो ए सुशासन पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है।अब न्याय मिलेगा या नहीं लेकिन पुलिस की कार्यप्रणाली भी संदेह के दायरे में है ।

Ravi Shukla
Author: Ravi Shukla

Editor in chief

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