बिलासपुर। मध्यप्रदेश की शराब को बड़े पैमाने पर बिलासपुर में कथित रूप से खपत करने का काम एक सिंडिकेट द्वारा किया जा रहा है ।जिसमे प्रमुख भूमिका एक ऐसे शख्स की है जो प्रदेश के मुख्यमंत्री और भाजपा नेताओं के साथ खड़े होकर फोटो खिंचवाने के बाद उन तस्वीरों के माध्यम से आबकारी विभाग के अधिकारियों को उपर तक “पहुंच”बता कर तबादला और निलंबन तक करा देने की बात करता है ।
प्रदेश में पूर्ववर्ती सरकार के दौरान पता नही कितने सौ या हजार करोड़ का आबकारी घोटाला! हुआ था लेकिन वर्तमान सरकार के दौरान भी शराब घोटाला होने से इंकार नहीं किया जा सकता । दरअसल घोटाले की जो बातें सामने आ रही है वह चौंकाने वाली है क्योंकि इस घोटाला सिंडीकेंट में आबकारी विभाग के एक बड़े अधिकारी की भी भूमिका बताई जा रही है ।
आरोप है कि मुख्यमंत्री और भाजपा नेताओं के साथ तस्वीर खिंचवाने वाला शख्स सुनियोजित रूप से मप्र की शराब को बिलासपुर के अलावा जशपुर,जांजगीर और कोरबा जिले में भी खपवा रहा है जिससे छत्तीसगढ़ शासन को प्रतिदिन 50 लाख से एक करोड़ रुपए तक की राजस्व की हानि होने का दावा किया जा रहा है । इसी शख्स द्वारा शराब दुकान संचालित करने वाली प्लेसमेंट कंपनी के सुपरवाइजरों से प्रति सुपरवाइजर 5 हजार ,प्रति सेल्समैन से 3 हजार रुपए और भृत्यो से 2 हजार रुपए वसूल करने की चर्चा है । उल्लेखनीय है बिलासपुर जिले में आबकारी दुकानों की संख्या 64 है इस तरह सुपरवाइजरों की संख्या 64 हुई, दो सेल्स मेन प्रति दुकान के हिसाब से 128 सेल्स मेन तथा भृत्य व अन्य कर्मचारी की संख्या भी 128 होती है जिनसे सभी से हर माह करीब 10 लाख रुपए की अवैध वसूली किए जाने की चर्चा है । इस फोटो खिचास शख्स की बात को नहीं मानने वाले आबकारी विभाग के अधिकारी कर्मचारी को नक्सल प्रभावित क्षेत्र तबादला अथवा निलंबित करा देने की धमकी से आबकारी विभाग का अमला भयभीत है । उल्लेखनीय यह भी है कि मप्र की शराब को बिलासपुर में खपत किए जाने की और अन्य शिकायतें तथा पुख्ता जानकारी मिलने पर कुछ दिनों पूर्व राजधानी से एक विशेष टीम जांच के लिए बिलासपुर आई थी और यह टीम कई शराब दुकानों में पहुंचकर जांच भी की लेकिन पता नहीं इस टीम को कोई भी गंभीर गड़बड़ी नहीं मिली और छिटपुट शराब गड़बड़ी का प्रकरण बनाकर यह टीम वापस लौट गई लेकिन आश्चर्य तो यह है कि एम पी की शराब बिलासपुर में खपत किए जाने का कोई भी मामला इस टीम को नहीं मिला या यो कहें इस टीम ने एम पी की शराब खपत किए जाने के मामले में हाथ ही नहीं डाला । शराब दुकानों में कई कई वर्ष से एक ही सेल्समैन और सुपरवाइजर के पदस्थ रहने के मुद्दे को भी टीम ने ध्यान नहीं दिया जबकि ऐसे सुपरवाइजर और सेल्समैन को दूसरी दुकानों में ट्रांसफर किए जाने चाहिए । उगाही की गई राशि का बंटवारा फोटो खिंचवाने वाला शख्स और सिडिकेट के सदस्यो के बीच रोज कर लिया जाता है । बड़ा सवाल यह है कि पूर्ववर्ती सरकार के दौरान हुए कथित आबकारी घोटाले की जांच कई एजेंसियों से कराने वाली वर्तमान सरकार में या पार्टी में ऐसे कौन लोग है जो फोटो खिचास वाले शख्स को संरक्षण दे रहे है । मप्र की शराब को बिलासपुर में खपाने में भी बड़ी राशि की अर्निग होना बताया जा रहा है । यह भी जानकारी मिली है कि एम पी की शराब में देशी शराब की मात्रा ज्यादा रहती है जो कोचियों के माध्यम से गांवो में और गांवो के नजदीक शराब दुकानों में ज्यादा खपाया जाता है। सत्ता में आने के आठ माह बाद साय सरकार की छवि साफ सुथरी होने के दावे पर ऐसे लोग ही बट्टा लगा रहे है । सरकार और आबकारी विभाग के आला अफसरों को इसकी तत्काल उच्चस्तरीय जांच करानी चाहिए और सच्चाई क्या है इसे सार्वजनिक करना चाहिए ताकि प्रदेश सरकार की छवि पर असर न पड़े ।
Author: Ravi Shukla
Editor in chief