सेना से जमीन वापसी के लिए २९ जुलाई से शुरू कर दो सप्ताह में सीमांकन पूरा करने के निर्देश जिला प्रशाशन को अब एयरपोर्ट का विकास तेज गति से हो सकेगा
बिलासपुर १८ जुलाई हाई कोर्ट की खंडपीठ जस्टिस गौतम बहादुरी और जस्टिस राधाकृष्ण अग्रवाल के कड़े रुख और सार्थक दखल से बिलासपुर एयरपोर्ट के विकास का मार्ग प्रशस्त हो गया है. आज राज्य सरकार ने जनहित याचिकाओ की सुनवाई के दौरान यह बताया कि कोर्ट के निर्देश पर हुई बैठक में केंद्र सरकार ने जो निर्देश नाईट लैंडिंग के सम्बन्ध में दिए गए है उन्हें मानने के लिए राज्यसरकार तैयार है. अर्थात अब राज्य सरकार सॅटॅलाइट आधारित पी बी एन टेक्नोलॉजी के आधार पर ही नाईट लैंडिंग सुविधा की ज़िद्द नहीं करेगी
गौरतलब कि पिछले करीब १० महीने से केंद्र और राज्य के बीच एयरपोर्ट में नाईट लैंडिंग हेतु कौन सी टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाय इस पर बहस में व्यर्थ जा रहा था. अपनी १९ जून की सुनवाई में हाई कोर्ट के द्वारा केंद्र और राज्य की एक संयिक्त बैठक बुला कर मामले को हल करने के निर्देश दिए थे अंततः राज्य को वही निर्देश मानने पड़े जो केंद्र ने अपने १८ अप्रैल के पत्र में दिए थे. उस निरर्थक बहस के कारण हुए समय के नुक्सान की भरपाई के लिए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए कि वह केंद्र सरकार की एजेंसीज के साथ मिल कर जल्दी से जल्दी डी वी ओ आर आदि उपकरणों के स्थापना के निर्देश दिए.
सेना के कब्ज़े वाली ज़मीन की एयरपोर्ट को हस्तांतरण के लंबित रहने का मसले पर हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया और जिला प्रशाशन के उस पत्र को स्वीकार किया जिसमे पटवारी हड़ताल और बारिश को सीमांकन ना हो पाने का आधार बनाया गया था। हाई कोर्ट ने कहा कि एयर पोर्ट की भूमि कोई कृषि भूमि नहीं है और भू राजस्व संहिता के हिसाब से तहसीलदार और अन्य राजस्व अधिकारी भूमि का सीमांकन कर सकते है. हाई कोर्ट ने २९ जुलाई को सीमांकन प्रारम्भ करने और दो सप्ताह में पूरा करने के निर्देश दिए.
हाई कोर्ट ने आज पुराणी बाउंड्री वाल तोड़ने की अनुमति अभी तक नहीं मिलने पर ब्यूरो ऑफ़ सिविल एविएशन सिक्योरिटी को नोटिस भी जारी किया। आज की सुनवाई में याचिकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव, आशीष श्रीवास्तव, राज्य सरकार से अतिरिक्त महाधिवक्ता आर के गुप्ता, केंद्र की ओर से रमाकांत मिश्रा आदि ने बहस की।