बिलासपुर ।छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की डबल बेंच, न्यायमूर्ति रंजनी दुबे एवं न्यायमूर्ति अमितेंद्र किशोर प्रसाद ने रायगढ़ जिले से जुड़े एक संपत्ति विवाद में किरायेदार के विरुद्ध महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है। न्यायालय ने किराया नियंत्रण प्राधिकरण रायगढ़ के आदेश को बहाल करते हुए किरायेदार को चार सप्ताह के भीतर संपूर्ण बकाया किराया जमा करने का निर्देश दिया है। समय-सीमा में किराया जमा न करने की स्थिति में बेदखली की कार्रवाई का मार्ग प्रशस्त कर दिया गया है।
यह आदेश याचिका क्रमांक WPC 1492/2023 क्रेश गायत्री देवी अग्रवाल एवं अन्य बनाम निर्मला देवी सिंघानिया एवं अन्य) में पारित किया गया। मामला रायगढ़ जिले के ग्राम बैकुंठपुर स्थित भूमि, खसरा नंबर 141/1/1, रकबा 0.541 हेक्टेयर तथा कोतरा रोड स्थित गोपाल सिंघानिया आ. धनसिंह की लकड़ी टाल से संबंधित है।
निचली अदालत का आदेश बहाल
उच्च न्यायालय ने किराया नियंत्रण प्राधिकरण, रायगढ़ द्वारा 25 मार्च 2022 को पारित आदेश को बहाल कर दिया है। उल्लेखनीय है कि उक्त आदेश को रायपुर स्थित किराया न्यायाधिकरण ने अपील क्रमांक 31/2022 में 20 दिसंबर 2022 को निरस्त कर दिया था।
चार सप्ताह में किराया जमा करने के निर्देश
खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि किरायेदार को आदेश की तिथि से चार सप्ताह के भीतर संपूर्ण बकाया किराया जमा करना होगा। न्यायालय ने यह भी कहा कि निर्धारित अवधि में किराया जमा नहीं करने पर किरायेदार को दिया गया अवसर समाप्त माना जाएगा।
बेदखली की प्रक्रिया दो माह में पूर्ण करने के निर्देश
यदि किरायेदार समय-सीमा में किराया जमा करने में विफल रहता है, तो संबंधित प्राधिकरण को निर्देशित किया गया है कि वह छत्तीसगढ़ किराया नियंत्रण अधिनियम, 2016 के नियम 7 के तहत बेदखली एवं किराया वसूली से संबंधित समस्त वैधानिक कार्रवाई दो माह के भीतर पूर्ण करे।
मामले में याचिकाकर्ता गायत्री देवी की ओर से छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय, बिलासपुर के अधिवक्ता मतीन सिद्दिकी ने पक्ष रखा।कानूनी जानकारों के अनुसार यह निर्णय छत्तीसगढ़ किराया नियंत्रण अधिनियम, 2016 के प्रभावी क्रियान्वयन की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह आदेश उन मामलों में मार्गदर्शक सिद्ध होगा, जहां किरायेदार लंबे समय तक किराया भुगतान में चूक करते हैं और प्रकरण लंबित रहते हैं।
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