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September 6, 2025 11:17 pm

आख़िर इस मौत के लिए कौन है जिम्मेदार,एसडीएम,मैडम,कलेक्टर या फिर कोई और, सवाल तो अब भी वही है

पीड़ित ने कहा भरोसा है एसएसपी पर एक साल से देख रहे हैं उनकी कार्य शैली को वो अन्याय नहीं होने देंगे यही है भरोसा बिलासपुर पुलिस का ?

बिलासपुर। जरा इन दो तस्वीरों को गौर से देखिए बोलेरो में नीली बत्ती लगी हुई है। सामने विंड स्क्रीन पर छग शासन लिखा हुआ है। जाहिर है इसे देखकर तो यह तय हो गया है कि यह सरकारी वाहन है। जरा पीछे पलटते हैं। पीछे छग शासन और उसके नीचे अंग्रेजी के बड़े अक्षरों में SDM लिखा हुआ है। इसी सरकार गाड़ी ने एक महिला की जान ले ली। हादसे में बच्चा गंभीर रूप से घायल हो गया है। सिम्स में जीवन और मृत्यु के बीच झूल रहा है।आख़िर क्या क़ुसूर है इस बच्चे का देखे,

वाहन के बारे में बताने का मतलब साफ है कि इसी सरकारी वाहन ने महिला व बच्चे को जोरदार टक्कर मारी। ड्राइवर की लापरवाही ने एक बच्चे को मां की गोद से मरहूम कर दिया। मां हमेशा-हमेशा के लिए चल बसी। बेटा का सिम्स में इलाज चल रहा है। घटना रक्षाबंधन के दिन घटी। एसडीएम की गाड़ी दूसरे जिले की है। एक्सीडेंट के वक्त जो लोग प्रत्यक्षदर्शी थे और जिन्होंने यह फोटो खींच ली है, उनमें से कुछ लोग यह बताते हैं कि सरकारी वाहन में एसडीएम मैडम बैठी हुई थी। सरकारी गाड़ी दूसरे जिले से बिलासपुर पहुंची थी। सरकारी गाड़ी में बैठी या फिर बैठा शख्स इतना लापरवाह और गैर जिम्मेदार भी हो सकता है, यह सवाल उठ रहा है। वाहन के टक्कर से महिला और उसका बेटा गंभीर रूप से घायल होकर सड़क पर ही तड़पती रहती है। उसकी मदद करना छोड़कर वाहन को लेकर भाग खड़े हुए। यह तो इंसानियत का तकाजा नहीं है। इलाज के लिए अस्पताल पहुंचने से पहले ही महिला ने दम तोड़ दिया।

 

लेकिन यहाँ एक सवाल तो है जो कई सवाल खड़ा कर रहा है, रक्षाबंधन के दिन बिलासपुर में एक महिला की मौत और उसके बच्चे के गंभीर रूप से घायल होने की वारदात ने प्रशासनिक जवाबदेही और सरकारी संसाधनों के निजी इस्तेमाल पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रत्यक्षदर्शियों का दावा है कि हादसे के वक्त बोलेरो वाहन जिस पर ‘छग शासन’ और SDM अंकित था लेकिन वाहन में स्वयं एसडीएम या कोई सवार था ऐसा हम नहीं घटनास्थल पर मौजूद लोगों का कहना है।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि हादसे के बाद न तो ड्राइवर रुका, न ही वाहन में सवार एसडीएम लिखी हुई गाड़ी पीड़ितों की मदद करने की कोशिश की। इसके बजाय सरकारी गाड़ी तुरंत घटनास्थल से निकाल ली गई। यह व्यवहार न केवल कानूनी बल्कि नैतिक जिम्मेदारी का भी खुला उल्लंघन है।

सेवा आचरण नियमों के तहत सरकारी वाहन का निजी इस्तेमाल, विशेषकर अधिकारी के परिजनों के लिए प्रतिबंधित है। फिर भी एसडीएम के पद का इस्तेमाल कर सरकारी बोलेरो को निजी यात्रा में लगाया गया जिसके नतीजे में एक निर्दोष की जान चली गई। अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या इस यात्रा की अनुमति संबंधित कलेक्टर से ली गई थी और क्यों अब तक इस मामले में एसडीएम व ड्राइवर के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं हुई स्थानीय लोगों ने मांग की है कि इस घटना को लापरवाही से हुई मौत नहीं बल्कि गंभीर आपराधिक लापरवाही और सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग के तहत दर्ज किया जाए। लोगों का कहना है सरकारी पद पर बैठे लोग अगर खुद कानून तोड़ेंगे तो आम जनता की जान किसके भरोसे सुरक्षित रहेगी ?होना तो ए था की भागने की जगह घायल की मदद करना था अस्पताल ले जाना था लेकिन इसके उलट भागना कहा तक उचित था ए सवाल कुछ ज़्यादा ही परेशान करता है ।

अब कोनी पुलिस की माने तो उनके अनुसार सकरी भरारी निवासी हेमलता सूर्यवंशी पति सुमीत सूर्यवंशी 29 साल अपने दो बच्चों को लेकर रिश्तेदार के साथ बाइक क्रमांक सीजी 10 बीबी, 8125 में सवार होकर तुर्काडीह की ओर जा रही थीं। शाम 4 बजे तुर्काडीह ओवरब्रिज के पहले तेज रफ्तार बोलेरो के चालक ने लापरवाहीपूर्वक चलाते हुए बाइक को टक्कर मार दी और भाग गया। हादसे में हेमलता सूर्यवंशी व उनका एक बच्चा गंभीर रूप से घायल हो गए। घटना के बाद मौके पर लोगों की भीड़ एकत्रित हो गई। सूचना मिलते ही कोनी व सकरी पुलिस मौके पर पहुंच गई। डायल 112 की मदद से घायल मां बेटी को इलाज के लिए सिम्स ले जाया गया। जहां डाक्टर ने हेमलता सूर्यवंशी को मृत घोषित कर दिया।

ये सवाल अब भी उठ रहे


अगर दूसरे जिले से एसडीएम बिलासपुर पहुंचे थे तो क्या इसकी विधिवत अनुमति कलेक्टर से ली थी। कलेक्टर के संज्ञान में उनसे बिलासपुर जाने की बात बताई थी या नहीं।या दुर्घटना हो भी गई तो क्या उन्होंने इसकी जानकारी कलेक्टर या पुलिस को दी गंभीर सवाल है ?

घटना के वक्त प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो सरकारी वाहन में महिला बैठी हुई थी। मतलब साफ है कि मेडम एसडीएम थी या कोई और मैडम को ही सरकारी वाहन छोड़ने के लिए आया था।अब लोग तो उंगली उठायेगे ना सरकारी वाहन का अधिकारी किन नियमों के तहत निजी उपयोग में ला रहे थे। यह तो सीधेतौर पर नियमों के विपरीत है।इस पर सरकार को सख्त रवैया अपनाना चाहिए ।अब पीड़ित परिवार सरकार से न्याय मांग रहा है ,क्या न्याय मिलेगा या कुछ और यही सवाल है ?

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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