बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में दो हजार करोड़ रुपये के शराब घोटाले में जेल में बंद पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा की जमानत याचिका को मामले की गंभीरता का हवाला देते हुए हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। याचिकाकर्ता लखमा ने अपनी याचिका में कहा है कि उसे राजनीतिक विद्वेषवश फंसाया गया है। लखमा को प्रवर्तन निदेशालय ने 15 जनवरी 2025 को गिरफ्तार किया था, और आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा ने भी इस मामले में उनकी गिरफ्तारी की थी।
याचिकाकर्ता पूर्व आबकारी मंत्री लखमा के अधिवक्ता ने कोर्ट के समक्ष पैरवी करते हुए कहा कि ईडी व ईओडब्ल्यू ने वर्ष 2024 में मामला दर्ज किया था। इसके डेढ़ साल बाद इसमें गिरफ्तारी की गई है जो कानूनी रूप से गलत है। याचिकाकर्ता का पक्ष सुने बिना ही उसे आरोपी बनाया गया है। याचिकाकर्ता के खिलाफ जांच एजेंसी के पास कोई पुख्ता सबूत नहीं है और ना ही ऐसा कोई दस्तोवज जिससे याचिकाकर्ता की संलिप्तता सामने आ रही हो। याचिकाकर्ता को राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया है। ईओडब्ल्यू की ओर से पैरवी करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि ईओडब्ल्यू के पास पूर्व आबकारी मंत्री के खिलाफ घोटाले में संलिप्तता के पर्याप्त सबूत है। जांच में इस बात के सबूत मिले है कि घोटाले के कमीशन के रूप में प्रति महीने दो करोड़ रुपये मिलता था। पूर्व आबकारी मंत्री के 27 करीबियों के बयानों के आधार पर सबूत जुटाए हैं, जो उनकी मिलीभगत और घोटाले में भूमिका को साबित करते हैं। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट ने जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।

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