योगेश चौधरी ने कहा यह सिर्फ एक स्टोर नहीं ,हजारों कारीगरों की आवाज़ है स्टोर के माध्यम से ग्राहकों को केवल खरीदारी के लिए नहीं, बल्कि कारीगरी की भावना को समझने के लिए कर रहे आमंत्रित




जयपुर रग्स का उद्देश्य केवल उत्पाद बेचने तक सीमित नहीं है, बल्कि कारीगरों को सम्मान और पहचान दिलाना तथा भारतीय हस्तशिल्प को वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाना



रायपुर।लक्ज़री हस्तनिर्मित कालीनों के क्षेत्र में अग्रणी जयपुर रग्स ने शुक्रवार को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में अपना पहला रिटेल स्टोर शुरू किया। कंपनी का यह नया स्टोर राजधानी के शांति सरोवर, कचना के पास एसएस टर्निंग पॉइंट पर स्थित है।

करीब 3,400 वर्गफुट में फैला यह स्टोर न केवल उत्पादों की प्रदर्शनी है, बल्कि इसे एक अनुभवात्मक गैलरी स्पेस के रूप में तैयार किया गया है, जहाँ ग्राहकों को भारतीय कारीगरों द्वारा हस्तनिर्मित कालीनों की बारीकियों को करीब से देखने और समझने का अवसर मिलेगा।

कंपनी के निदेशक योगेश चौधरी ने कहा यह सिर्फ एक स्टोर नहीं है यह हजारों कारीगरों की आवाज़ है। रायपुर स्टोर के माध्यम से हम ग्राहकों को केवल खरीदारी के लिए नहीं, बल्कि कारीगरी की भावना को समझने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं।

जयपुर रग्स की ओर से जारी बयान में बताया गया कि यह नया स्टोर ब्रांड के वैश्विक विस्तार का हिस्सा है। रायपुर स्टोर, दुनिया भर में कंपनी का 18वां आउटलेट है। ब्रांड की उपस्थिति मिलान, लंदन, दुबई, मुंबई और जयपुर सहित कई प्रमुख शहरों में है।
ब्रांड के अनुसार, रायपुर और आसपास के क्षेत्रों से लंबे समय से कालीनों के प्रति रुचि और पूछताछ देखी जा रही थी। इसी बाजार संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए कंपनी ने यहां अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का निर्णय लिया।

स्टोर में जयपुर रग्स की प्रमुख डिज़ाइन श्रेणियों को प्रदर्शित किया गया है, जिनमें ‘मिथोस’, ‘केऑस थ्योरी’ और ‘जयपुर वुंडरकमर’ शामिल हैं। इन संग्रहों में परंपरा, आधुनिकता और कलाकारों की व्यक्तिगत अभिव्यक्तियों का समावेश है।

कंपनी के संस्थापक नंदकिशोर चौधरी ने कहा एक गलीचा कोई उत्पाद नहीं है वह एक प्रार्थना है। वह चुप्पी, कहानियाँ, पीड़ा और सपनों को संजोता है। उन्होंने यह भी कहा कि रायपुर स्टोर स्थानीय युवाओं को कारीगरी का प्रशिक्षण देने की दिशा में भी एक कदम हो सकता है, जिससे क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाए जा सकें।
जयपुर रग्स का वैश्विक वार्षिक कारोबार वर्तमान में लगभग 1,170 करोड़ तक पहुँच चुका है, जिसमें से 360 करोड़ भारत की इकाई जयपुर रग्स कंपनी प्राइवेट लिमिटेड से आता है। यह ब्रांड देश के ग्रामीण क्षेत्रों में 40,000 से अधिक कारीगरों के साथ काम करता है, जिनमें लगभग 85% महिलाएं हैं।

1978 में दो करघों से शुरू हुआ यह पारिवारिक व्यवसाय आज 7,000 से अधिक करघों और 90 से अधिक देशों में उपस्थिति के साथ भारतीय हस्तशिल्प की विरासत को विश्व मंच पर ले जा रहा है।
कंपनी की निदेशक रुत्वी चौधरी ने कहा, यह केवल एक विस्तार नहीं बल्कि एक मौन क्रांति की निरंतरता है, जहाँ विरासत संग्रहालयों में नहीं, बल्कि घरों में उनके पैरों के नीचे रहती है जो सुंदरता को महसूस करना जानते हैं।

प्रधान संपादक