डीबी ने बिजली विभाग से शपथपत्र पर मांगा स्पष्टीकरण




बिलासपुर: बिजली के खंभों पर अव्यवस्थित केबल और लगातार बिजली बंद होने की बढ़ती शिकायतों को लेकर दायर जनहित याचिका पर गुरुवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने इस दौरान एक समाचार माध्यम न में प्रकाशित रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए उसे रिकार्ड पर लिया और छत्तीसगढ़ स्टेट पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (सीएसपीडीसीएल) से शपथपत्र पर विस्तृत जवाब मांगा है। कोर्ट ने यह जानना चाहा है कि आखिर 22 मई से 25 जून के बीच आई 15 हजार से अधिक बिजली बंद होने की शिकायतों का निपटारा विभाग ने किस प्रकार किया। साथ ही पूछा गया कि इतने अधिक शिकायतों के बावजूद सुधारात्मक कार्रवाई क्यों नहीं की गई। हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि चूंकि यह मुद्दा भी सीधे बिजली विभाग से जुड़ा है, इसलिए इसे चल रही जनहित याचिका में सम्मिलित किया जाएगा और आगामी सुनवाई में विभाग को शपथपत्र सहित पूरी जानकारी प्रस्तुत करनी होगी।



शहर की सुंदरता और सुरक्षा दोनों पर खतरा-
इस जनहित याचिका की पृष्ठभूमि में शहर में बिजली खंभों पर लटकते केबल और तारों की स्थिति है, जो न सिर्फ नगर सौंदर्य को बिगाड़ रहे हैं, बल्कि जानलेवा खतरा भी बनते जा रहे हैं। कई जगहों पर केबल में करंट दौड़ने की घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें एक बिजलीकर्मी की मौत भी हो चुकी है। इसके बावजूद शहर के प्रमुख मार्गों, कालोनियों और बाजार क्षेत्रों में तारों का अव्यवस्थित ढांचा बना हुआ है। हाई कोर्ट ने इससे पहले प्रकाशित फोटो समाचार का संज्ञान लेते हुए स्वतः संज्ञान लेकर इसे जनहित याचिका के रूप में पंजीबद
गुरुवार को हुई सुनवाई में हाई कोर्ट ने एक और खबर को इस याचिका में संलग्न किया। खबर में उल्लेख था कि 22 मई से 25 जून तक बिलासपुर क्षेत्र में 15 हजार से अधिक बिजली बंद होने की शिकायतें दर्ज की गई हैं। इसके बावजूद, विभागीय चेयरमैन के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद बिजली व्यवस्था सुधारने कोई ठोस पहल नहीं हुई है। चेयरमैन ने अलग-अलग कंट्रोल रूम बनाने और शाम 4 बजे से लेकर रातभर दो टीमों को फील्ड में अलर्ट रहने का निर्देश दिया था, लेकिन रिपोर्ट बताती है कि न तो फ्यूज काल पर समय पर कार्रवाई हो रही और न ही रात की टीम सक्रिय है। इससे उपभोक्ता लगातार परेशान हैं।


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