बिलासपुर आबकारी विभाग के अफसर और महकमे की नाकामी या फिर कुछ और, देसी शराब बनाने और गांव-गांव बेचने वालों का बढ़ रहा दबदबा
बिलासपुर छत्तीसगढ़ ।सुशासन तिहार के मौजूदा दौर में न्यायधानी बिलासपुर में एक ऐसा भी विभाग है जिसे ना तो प्रदेश के सीएम विष्णुदेव साय का खौफ है और ना ही विभागीय मंत्री का। यह विभाग है आबकारी। बताते चले कलेक्टोरेट कार्यालय से चंद कदमों की दूरी पर संचालित होने वाले इस विभाग के खटराल अफसरों और महकमे की कहानी ही कुछ और है। जिले में अवैध शराब का जखीरा मिल रहा है। सरकारी शराब दुकान को चूना लगाने वाले लगा ही रहे हैं। ये पूरी तरह बेखबर हैं। तभी तो रविवार को राजधानी रायपुर से आबकारी अफसरों की टीम 62 किलोमीटर की दूरी तय कर बिलासपुर पहुंच जाती है और बड़ी मात्रा में महुआ शराब का जखीरा भी जब्त कर लेती है। स्टेट टीम की कामयाबी और बिलासपुर आबकारी विभाग के खटराल अफसरों की नाकामी के किस्से अब राजधानी तक पहुंचने लगा है।

ऐसा भी नहीं है कि बिलासपुर आबकारी विभाग के अधिकारियों और मैदानी अमले को इस बात की जानकारी नहीं है कि जिले के किस-किस गांव में महुआ शराब बनाया जा रहा है। बनाने के बाद कहां-कहां खपाया जा रहा है। इस काम में किसके इशारे पर सब चल रहा है। सरगना कौन है और किसके सरपस्ती में यह गोरखधंधा जिले में फल-फूल रहा है। गोरखधंधे की स्क्रिप्ट भी आबकारी विभाग में ही लिखी जाती है और फिर से इसी अंदाज में अंजाम तक पहुंचाया जाता है। सरकार का दबाव बना तो दिखावे की कार्रवाई वरना सब-कुछ सेटिंग के हिसाब से चलते ही रहता है। आबकारी और शराब माफिया की कहानी लंबी है और वर्षेां पुरानी भी।
रविवार को जो कुछ हुआ जिले के आबकारी अफसरों की नाकामी साफतौर पर देखी जा सकती है। रायपुर से आबकारी विभाग की छापामार टीम चकरभाठा पहुंचती है और बड़ी मात्रा में महुआ शराब की जब्ती भी कर लेती है। सब-कुछ अपने बुते पर। स्टेट की आबकारी टीम ने चकरभाठा में भारी मात्रा में महुआ लहान जब्त किया है। यह सब तालाब से निकाला गया है।
स्टेट टीम की छापामार कार्रवाई में खुली बिलासपुर आबकारी अफसरों की पोल

चकरभाठा थाना क्षेत्र के वर्मा मोहल्ला (वार्ड क्रमांक 9) में रायपुर सेंट्रल आबकारी विभाग की टीम ने रविवार को छापामार कार्रवाई करते हुए देसी कच्ची शराब बनाने के बड़े अड्डे का भांडाफोड़ किया। छापे के दौरान भारी मात्रा में महुआ और लहान जब्त किया गया है। इस मोहल्ले में लंबे समय से कच्ची शराब का कारोबार खुलेआम चल रहा था।
संरक्षण किसी का हो,विभागीय अफसरों की करतूत की चर्चा

स्थानीय लोगों में चर्चा है कि शराब बनाने वालों को राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है। यह भी कहा जा रहा है कि विभागीय कर्मचारियों की मिलीभगत और ‘महीने’ की व्यवस्था के कारण अब तक कार्रवाई नहीं की गई। यही कारण है कि रायपुर की टीम को हस्तक्षेप करना पड़ा और सैकड़ों लीटर अवैध लहान और महुआ को नष्ट किया गया।
लोफंदी में विभाग की खुल चूकी है पोल

लोफंदी में जहरील शराब से 9 लोगों की मौत के बाद आबकारी विभाग के अफसरों की पोल खुल चूकी है। आखिर किस तरह विभाग को चला रहे हैं और गांव-गांव में बिक रही अवैध शराब और इसके सरगना को पकड़ने में अब तक नाकाम रहे हैं। लोफंदी में जहरीली शराब से मौत का मामला विधानसभा में भी गूंजा था। विपक्ष ने सदन में जमकर हंगामा मचाया था और जिले के आबकारी अफसरों की पोल भी खोल कर रख दी थी।
कभी भी हो सकता है गंभीर हादसा

गांव-गांव में जिस तरह कच्ची शराब बना रहे हैं और धड़ल्ले से बिक्री हो रही है,भीषण गर्मी के इस मौसम में कभी भी किसी भी गांव में लोफंदी की तरह हादसा की आशंका भी बनी हुई है।

प्रधान संपादक