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June 2, 2025 10:32 pm

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सेवानिवृत्त डीईओ से नहीं होगी वसूली, हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को दी राहत याचिका


बिलासपुर छत्तीसगढ़ ।हाई कोर्ट ने रायगढ़ के सेवानिवृत्त जिला शिक्षा अधिकारी बरनाबस बखला द्वारा दाखिल याचिका की सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता से किसी प्रकार की वसूली नहीं की जाएगी। न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु की एकलपीठ ने यह आदेश पारित करते हुए याचिका को निराकृत कर दिया।
वर्ष 2017 में भारत सरकार के ‘राष्ट्रीय पुस्तकालय मिशन’ के अंतर्गत रायगढ़ जिला ग्रंथालय के तकनीकी उन्नयन के लिए 87 लाख रुपए स्वीकृत हुए थे, जिनमें से 30 लाख रुपए तकनीकी उन्नयन के लिए थे। उस समय बरनाबस बखला रायगढ़ में जिला शिक्षा अधिकारी के पद पर कार्यरत थे। उनके सेवानिवृत्त होने के बाद कलेक्टर रायगढ़ द्वारा गठित एक तीन सदस्यीय जांच समिति ने तकनीकी उन्नयन में वित्तीय अनियमितताओं की बात कहते हुए उनसे वसूली तथा आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की सिफारिश की थी। इस रिपोर्ट के आधार पर 24 अप्रैल 2025 को वर्तमान जिला शिक्षा अधिकारी रायगढ़ ने आदेश जारी कर याचिकाकर्ता से अतिरिक्त भुगतान की वसूली करने और सिंघानिया ग्रुप एवं इंडस्ट्रीज द्वारा आपूर्ति की गई सामग्री की पावती प्रस्तुत करने को कहा था। आदेश में यह भी उल्लेख किया गया था कि अनुपालन न होने पर उनके विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

सेवानिवृत्त डीईओ बरनाबस बखला ने इस आदेश को चुनौती देते हुए अधिवक्ताओं मतीन सिद्दीकी और अपूर्वा पांडे के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया कि बिना किसी वैधानिक विभागीय कार्यवाही के सेवा निवृत्त अधिकारी को दोषी ठहराकर पेंशन, ग्रेच्युटी और अन्य सेवानिवृत्त लाभों को रोकना असंवैधानिक है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि छत्तीसगढ़ सिविल सेवा पेंशन नियम 1976 की धारा 9(2)(बी) के अंतर्गत ही सेवानिवृत्त अधिकारियों पर कोई दायित्व आरोपित किया जा सकता है। जब तक जांच के निष्कर्ष न्यायिक या वैधानिक रूप से सिद्ध न हो जाएं, तब तक सेवानिवृत्त लाभों पर रोक संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन है।
सुनवाई के दौरान शासकीय अधिवक्ता की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता से फिलहाल किसी प्रकार की वसूली नहीं की जा रही है। इस स्पष्टिकरण के आधार पर हाई कोर्ट ने कहा कि, विचाराधीन आदेश वसूली आदेश नहीं माना जा सकता, अतः याचिकाकर्ता से कोई वसूली नहीं की जाएगी।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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