नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ में रेलवे अधोसंरचना के बड़े विस्तार का संकेत देते हुए रेल मंत्रालय ने संसद को अवगत कराया है कि राज्य के लिए बजट आवंटन में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2009–2014 के दौरान जहाँ प्रति वर्ष औसतन ₹311 करोड़ बजट मिलता था, वहीं वित्तीय वर्ष 2025–2026 में यह बढ़कर ₹6,925 करोड़ हो गया है। यह वृद्धि 22 गुना से अधिक है।
राज्यसभा में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में रेल, सूचना एवं प्रसारण तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने छत्तीसगढ़ में स्वीकृत रेल परियोजनाओं और अब तक की प्रगति का विस्तृत विवरण रखा।
ट्रैक निर्माण की गति में तीव्र बढ़ोतरी
मंत्री ने बताया कि वर्ष 2009–2014 के बीच जहाँ केवल 32 किलोमीटर नया ट्रैक बिछाया गया था (6.4 किमी प्रतिवर्ष), वहीं वर्ष 2014 से 2025 के बीच 1,189 किलोमीटर नई रेल लाइनें पूरी की गईं। यह औसतन 108.1 किमी प्रतिवर्ष है पहले की तुलना में 15 गुना अधिक।
26 स्वीकृत परियोजनाएँ, आधे से अधिक काम पूरा
1 अप्रैल 2025 तक छत्तीसगढ़ में कुल 26 रेल परियोजनाएँ (6 नई लाइनें और 20 दोहरी/मल्टीट्रैकिंग परियोजनाएँ) स्वीकृत हैं, जिनकी कुल लंबाई 1,932 किमी और लागत ₹31,619 करोड़ है।
इनमें से 1,023 किमी कार्य पूरा हो चुका है और ₹16,325 करोड़ खर्च किए जा चुके हैं।
हाल ही में पूर्ण हुई प्रमुख परियोजनाएँ
• खरसिया–धरमजयगढ़ नई लाइन (100 किमी)
• रायपुर–तिटलागढ़ डबल लाइन (203 किमी)
• सल्का रोड–खोंगसरा डबल लाइन (26 किमी)
• दुर्ग–राजनांदगांव डबल लाइन (31 किमी)
• खोड़री–अनूपपुर डबल लाइन (72 किमी), जिसमें बिलासपुर फ्लाईओवर शामिल
• बिलासपुर–उरकुरा तृतीय लाइन (110 किमी)
• चांपा–झारसुगुड़ा तृतीय लाइन (152 किमी)
• पेंड्रा रोड–अनूपपुर तृतीय लाइन (50 किमी)
प्रगति पर प्रमुख कार्य
• डालीराजहरा–रावघाट नई लाइन
• रावघाट–जगदलपुर नई लाइन
• गेवरा रोड–पेंड्रा रोड नई लाइन
• धरमजयगढ़–कोरबा नई लाइन
साथ ही कई दोहरीकरण और मल्टीट्रैकिंग परियोजनाएँ भी निर्माणाधीन हैं, जिनमें किरंदुल–जगदलपुर, जगदलपुर–कोरापुट, झारसुगुड़ा–बिलासपुर चौथी लाइन, राजनांदगांव–नागपुर तृतीय लाइन, बोरीडांड़–अंबिकापुर डबल लाइन तथा खरसिया–परमलकासा पाँचवीं एवं छठी लाइन शामिल हैं।
तीन वर्षों में 61 सर्वेक्षण
वित्तीय वर्ष 2022–23 से 2025–26 तक रेलवे ने कुल 61 सर्वेक्षण किए, जिनमें 26 नई लाइन और 35 दोहरीकरण सर्वेक्षण शामिल हैं। ये सर्वेक्षण 5,755 किलोमीटर क्षेत्र को कवर करते हैं।
समयसीमा और लागत कई कारकों पर निर्भर
मंत्री वैष्णव ने कहा कि परियोजनाओं की स्वीकृति और समयबद्ध पूर्णता यातायात मांग, आर्थिक व्यवहार्यता, भूमि अधिग्रहण, वन एवं वैधानिक अनुमतियाँ, उपयोगिता स्थानांतरण, भौगोलिक परिस्थितियाँ, स्थानीय कानून-व्यवस्था और मौसम संबंधी सीमाओं जैसे कारकों पर निर्भर करती है।
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