बिलासपुर छत्तीसगढ़ ।चार नवंबर 2025 को गेवरा रोड मेमो पैसेंजर ट्रेन में हुए भीषण हादसे को एक महीना बीत चुका है, लेकिन गंभीर रूप से घायल यात्री (नीरू) नीरज देवांगन आज भी मुआवज़े और सरकारी सहायता के लिए दर-दर भटक रहे हैं। हादसे में घायल होने के बाद नीरज को जिला अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। सिर कमर और बाएं पैर में गंभीर चोटें आने के बावजूद उसी शाम उन्हें उपचार पूरा होने से पहले ही डिस्चार्ज कर दिया गया। वर्तमान स्थिति यह है कि नीरज न तो ठीक से चल पा रहे हैं, न ही बैठ पा रहे हैं। डॉक्टरों ने उन्हें पूर्ण बिस्तर पर आराम की सलाह दी है।
प्राइवेट नौकरी कर जीवन यापन करने वाले नीरज अब गंभीर चोटों के चलते कार्य करने में असमर्थ हो चुके हैं। घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ती जा रही है और परिवार का भरण पोषण संकट में है।
मुझे आज तक एक रुपया भी नहीं मिला है…
रेल हादसे में घायल नीरज देवांगन का यह बयान पूरी स्थिति को स्पष्ट करता है। उनका कहना है कि राज्य शासन द्वारा घोषित 50,000 रुपये की तत्काल राहत राशि और गंभीर घायलों के लिए 5 लाख रुपये के मुआवज़े में से एक भी रकम अब तक उन्हें प्राप्त नहीं हुई है। रेलवे द्वारा घोषित 5 लाख रुपये की सहायता राशि भी केवल कागज़ों तक सीमित है।
04 नवंबर की सुबह बिलासपुर स्टेशन के आउटर में मेमो पैसेंजर ट्रेन के डिरेल होने से 12 यात्रियों की मौत हुई थी, जबकि 20 लोग घायल हुए थे। गंभीर घायलों में नीरज देवांगन भी शामिल थे।
रेल हादसे का शिकार हुए नीरज ने जिला प्रशासन और रेलवे अधिकारियों को कई बार पत्र लिखकर मुआवज़ा और उपचार हेतु सहायता राशि जल्द उपलब्ध कराने की मांग की है। उनकी आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि आगे का इलाज कराना भी उनके लिए संभव नहीं है।
घोषणाएँ तेज, ज़मीन पर कार्रवाई धीमी
हादसे के तुरंत बाद सरकार और रेलवे ने राहत राशि की घोषणा तो कर दी थी, लेकिन एक माह बीतने के बाद भी गंभीर घायल पीड़ित तक इसका लाभ नहीं पहुँच पाया है। नीरज जैसे पीड़ितों की दुर्दशा इस बात का प्रमाण है कि घोषणाओं के बाद कार्रवाई की रफ्तार कितनी धीमी है।
आख़िर कब मिलेगा न्याय ?
नीरज का सवाल अब भी अनुत्तरित है। क्या प्रशासन उनकी पुकार सुनेगा? क्या उन्हें वह सहायता मिल पाएगी जिसका वादा किया गया था? उनकी स्थिति यह दर्शाती है कि दुर्घटना का दर्द केवल उस क्षण का नहीं होता, बल्कि महीनों तक जीवन पर भारी पड़ता है।
नीरज की एक ही उम्मीद है शासन और रेलवे उनकी स्थिति को समझकर उन्हें तत्काल सहायता राशि उपलब्ध कराए ताकि वे उपचार करा सकें और जीवन को दोबारा पटरी पर ला सकें।
प्रधान संपादक





