ये तो गजब हो गया
राजनीति में जो ना हो और जो हो रहा है वह कम ही है। अब देखिए ना, स्टूडेंट की बेदखली के खिलाफ सेंट्रल यूनिवर्सिटी कैम्पस में विपक्षी दल के नेताओं ने जोरदार और दमदार आंदोलन किया। बैनर एनएसयूआई का था। फ्रंट और बैक सपोर्ट सीनियर कांग्रेसी लीडरों का था। आंदोलन के दौरान सीनियर लीडर्स नजर भी आए। इनके दम पर ही स्टूडेंट विंग का आंदोलन सक्सेस रहा। जैसा कि होता है आंदोलन के बाद मीडिया में प्रेस रीलिज भेजना। भेजे भी,और जगह भी मिली। जगह मिलने के बाद स्टूडेंट विंग के टॉप लीडरशीप की नाराजगी भी उसी अंदाज में सामने आई। दरअसल लोकल छात्र नेताओं ने टॉप लीडरशीप के साथ राजनीति खेल दी। लोकल छात्र नेताओं ने प्रोटोकॉल को भी नजरअंदाज कर दिया। मीडिया में सीनियर लीडर्स और स्टूडेंट विंग के टॉप लीडरशीप का नाम गायब था। नाराजगी भी स्वाभाविक है। कहने वाले तो यह भी कह रहे हैं कि छपास रोगी लोकल छात्र नेताओं की कुर्सी ही गायब ना हो जाए। सियासत को करीब से जानने और समझने वालों की माने तो काउंट डाउन शुरू। चलिए देखते हैं। कब किसकी कुर्सी पहले जाती है और कौन लकी साबित होता है।
आरआई प्रमोशन और दागी अफसर
आरआई प्रमोशन घोटाले की छत्तीसगढ़ में उसी अंदाज में गूंज हो रही है जैसा सीजीपीएससी 2022-23 की। सीजीपीएससी की बात पहले कर लेते हैं। मामला सीबीआई के पास है। धड़ाधड़ गिरफ्तारी भी हो रही है। मंत्री से लेकर नेता और अफसर सभी ने बहती गंगा में हाथ धो लिए। पावर पॉलिटिक्स से लेकर ब्यूरोक्रेसी,जिसको जैसा रास्ता मिला सब ने इस्तेमाल किया। इस्तेमाल कहना बेमानी होगी, पावर का दुरुपयोग किया और प्रतिभावन युवा जो अपने प्रतिभा के दम पर पोस्ट के हकदार थे,उनका हक मारा। कमोबेस पटवारी से आरआई प्रमोशन भी कुछ-कुछ ऐसा ही हुआ। आईएएस के रिश्तेदारों से लेकर राजस्व विभाग के अफसरों ने भी जमकर फर्जीवाड़ा किया। राजस्व विभाग के घुसखोर अफसरों को देखिए, फर्जीवाड़ा के लिए आचार संहिता के दौर को चुना। बेचारे नए नवेले मंत्री को भी फंसाने में कसर नहीं छोड़ी। पीएम मोदी के जीरो टालरेंस के कारण वे बच गए, नहीं तो कुर्सी तो जाती बिना किए बदनामी का दाग भी लगता। राज्य सरकार ने जांच का जिम्मा ईओडब्ल्यू को सौंप दिया था। बुधवार को सर्दी के इस मौसम में तड़के ईओडब्ल्यू के अफसरों ने छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों में ताबड़ातोड़ छापेमारी की। छापेमारी का इनपुट भी आज देखने को मिला। प्रमोशन घोटाले के दो मास्टर माइंड को जांच एजेंसी ने पकड़कर लाल बंगला पहुंचा दिया है।
आरआई प्रमोशन, तेरा क्या होगा कालिया
आरआई प्रमोशन घोटाले की बात छिड़ी चुकी है तो इसे थोड़ा आगे और बढ़ा लेते हैं। जांच एजेंसी की ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू हो गई है। घोटालेबाज अफसरों की नींद हराम हो गई है। रात को छोड़िए अब तो दिन में भी दफ्तर में बैठे-बैठे सपने आने लगे हैं। डरावने सपने से लेकर रुलाने वाले सपने। पता नहीं कब एसीबी और ईओडब्ल्यू के अफसर धमक जाएं और उन दस्तावेजों के पन्ने खोल दें जो कभी जमकर काला किया था। काले कमाई और काले दस्तावेजों को छुपाए तो छुपाए कहां और कैसे। इसी बात को लेकर हैरान परेशान अफसरों को ना तो रात में नींद आ रही है और ना दिन में चैन। कहते हैं ना, जैसी करनी वैसी भरनी। जो किया वह तो भरपाई करनी ही पड़ेगी। कुदरत का खेल है। आज नहीं तो कल, हिसाब तो चुकाना ही पड़ेगा।
डेपुटेशन वाले गुरुजी, अब खा रहे जेल की हवा
डेपुटेशन वाले गुरुजी ने जो किया उसे सुनकर महकमा हैरान और परेशान है। पीएससी 2022-23 पुर्जीवाड़ा में एक मास्टर माइंड की चर्चा इन दिनों जमकर हो रही है। यह महाशय छत्तीसगढ़ राज्य लोक सेवा आयोग का स्थाई कर्मचारी नहीं है। डेपुटेशन में पहुंचे सीजीपीएससी और कमाल कही कर दिया। सीधे एग्जाम कंट्रोलर बन गए और जो कुछ किया वह सबके सामने है। कंट्रोलर की कुर्सी पर बैठने के बाद जो चकरी चलाई उसे सीबीआई भी दंग रह गई है। चुन-चुनकर वीवीआईपी के पास पेपर पहुंचाया। सीधे कहें तो पेपर ही लीक कर दिया है। शिक्षा विभाग का यह शिक्षक डेपुटेशन पर आयोग पहुंचता है जो कमाल करता है उसे देखकर तो सब दंग ही रह गए। गुरुजी के कमाल ने तो प्रतिभावान युवाओं का करियर की बर्बाद कर दिया है। इसकी भरपाई तो हो नहीं पाएगी। बरहाल एग्जाम कंट्रोलर अब जेल की हवा खा रहा है।
अटकलबाजी
एनएसयूआई के दो नेताओं की धड़कनें क्यों बढ़ी हुई है। क्यों एक-एक दिन गिनने लगे हैं। ऐसा क्या कर दिया कि कुर्सी खतरे में पड़ गईहै।
ईओडब्ल्यू की ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद राजस्व विभाग में सन्नाटा पसर गया है। पटवारी से आरआई बने उन अफसरों की तो पूछिए मत, जिन्होंने चालाकी कर प्रमोशन पा लिया है। अब डिमोशन का खतरा मंडराने लगा है। ऐसे कितने हैं जिनको वापस पटवारी बनने का डर सताने लगा है।
प्रधान संपादक





