संगठन सृजन या स्टूडेंट इलेक्शन
कांग्रेस में संगठन सृजन का दौर चल रहा है। मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आब्जर्वर बनकर बिलासपुर आये थे। जिला और शहर अध्यक्ष बनने की चाहत रखने वाकई दावेदारों से आवेदन भी लिया। कुर्सी संभालने की काबिलियत के बारे में आब्जर्वर ने पूछताछ भी की। इस दौरान जो कुछ दिखा वह शहर और जिला अध्यक्ष से इतर स्टूडेंट इलेक्शन की याद ताजी कर दी। लॉबिंग भी उसी तर्ज पर और केन्वासिंग भी ठीक वैसे ही। आब्जर्वर के सामने अपनी लॉबिंग कराने दावेदारों ने कोई कसर नहीं छोड़ी। कांग्रेसी दिग्गज भी अपनो का साथ देते नजर आए। मजे की बात ये की दावेदार बैकअप लेकर चल रहे थे। मतलब किसी कारणों से दावेदारी पर पेंच फंस गया तो बैकअप काम आएगा। बहरहाल बिलासपुर एपिसोड ख़त्म हो गया है, अब बारी दिल्ली की है।
दिल्ली की ओर लगी नजर
बात चल ही पड़ी तो इसे आगे बढ़ाना भी जरूरी लगता है। चलिए इस सिलसिले को आगे बढाते हैं, छत्तीसगढ़ से सृजन दिल्ली की ओर चल पड़ा है। सुन तो ये भी रहे हैं, दावेदारों को दिल्ली तलब किया जाएगा। दिल्ली में ही मिस्टर क्लीन का चुनाव होगा। क्लीन का मतलब कोल और लिकर की तरफ मत जाइए। दिल्ली आने जाने का खर्चा खुद उठाना होगा। ये कांग्रेस है भैया, स्पॉन्सर भी मिल जाएंगे। स्वाभाविक बात है। कुर्सी मिलेगी तो काम ही आएंगे। सो दिल्ली जाने आने और ठहरने का जुगाड़ तो कुछ खास दावेदारों का हो ही जायेगा। बाकी को सोचना पड़ेगा। ये उनका टेंशन है, त्योहारी माहौल में हम और आप अपना मूड क्यों ऑफ करें।
इस विभाग की अलग कहानी
त्योहार का मौसम है, खाद्य एवम औषधी ओर शासन विभाग ठीक त्योहार के वक़्त ही क्यों सक्रिय होता है। अब देखिए न अभी खोवा और मिठाई का सैम्पल लेंगे, असली है नकली, इसका रिजल्ट कब आएगा, जब त्योहार निकल जायेगा और मिठाई आप हज़म कर जाए रहेंगे। ड्रग्स डिपार्टमेंट को रिसर्च करना जरूरी हो गया है। आखिर किसके लिए ये सैम्पल इकट्ठा करने का खेल, खेलते हैं। इसके पीछे की कहानी क्या है। हम तो रिसर्च कर ही रहे हैं, आपको कुछ पता चके तो हमसे शेयर जरूर करियेगा।
कबाड़ के धंधे पर भी चर्चा जरूरी
प्रदेश में कबाड़ी अवैध धंधे में लिप्त हैं पर पुलिस के हाथ क़ानूनी सीमाओं से बंधे हैं। जब तक कबाड़ के लिए अलग कानून नहीं बनेगा, तब तक पुलिस की मेहनत बेअसर साबित होती रहेगी।कबाड़ कारोबार पर सख्त नियम बनने चाहिए। वरना पुलिस छापे मारती रहेगी मुकदमे दर्ज होंगे आरोपी छूटते रहेंगे और अवैध कबाड़ कारोबार फलता फूलता रहेगा। समय की मांग है कि कबाड़ियों के लिए ठोस कानून बने ताकि पुलिस की कार्रवाई प्रभावी हो और इस अवैध धंधे पर रोक लग सके।
अटकलबाजी
फूड एंड ड्रग्स विभाग त्योहारी सीजन में ही क्यों एक्टिव होता है। इसका राज क्या है। लोगों की चिता या फिर कुछ और। कहीं पे निगाहें और कहीं पर निशाना तो नहीं।
भारी-भरकम अमल के बावजूद आबकारी पकड़ क्यों फ़िसल रही है ,कौन हाथ बाँध रहा है और क्यों पुलिस को करना पड़ता है आबकारी अमले का काम?

प्रधान संपादक




