सरकार की करा रहे फजीहत
भाजपा के कद्दावर नेता और पूर्व गृहमंत्री ननकी राम कंवर के तेवर इन दिनों कुछ ही गरम है। उस बार कोरबा कलेक्टर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सीएम को एक नहीं तीन तीन चिट्ठी लिखी । बात नहीं बनी तो धरने की धमकी भी दे डाली। धरना स्थल को लेकर जब सीनियर लीडर ने खुलासा किया तो अफसरों के हाथ पांव फूल गए। कहीं और नहीं सीएम हाउस के सामने। पूर्व एचएम के खुलासे के बाद तो सरकार से लेकर ब्यूरोक्रेट्स में तहलका ही मच गया है। धरना जे लिए डेडलाइन भी तय कर दिया है। 4 अक्टूबर। मतलब कल । जाहिर सी बात है आज पूरे दिन सत्ता, संगठन और ब्यूरोक्रेट्स के बीच मंथन का दौर तो चलेगा ही मशक्कत भी जमकर होगी। सीनियर नाराज लीडर को मनाने के दौर भी चलेगा। देखते हैं आगे क्या होता है?
कोई तो बने संकटमोचन
रामपुर एपीसोड की चर्चा छिड़ी है तो इसे आगे बढाना भी जरूरी हो जाता है। मन मे सवाल तो उठ ही रहा है कि आखिर पूर्व एचएम ने मुद्दा क्यों उठाया है, जिसे लेकर सरकार की दिक्जतें बढ़ गई है। डीएम पर सीधेतौर पर उंगली उठाई है। असमंजस का आलम ये कि आखिर करे गो करे क्या। ब्यूरोक्रेट्स में डीएम की छवि बेहतर है। जांच में आंच भी उसी पर उठनी है। अच्छी छवि वाले अफसर के खिलाफ जांच पड़ताल की आंच सरकार को ही झेलनी पड़ेगी। सरकार को अब तो संकटमोचन की तलाश है, जो यह सब शांति से निपटा दे। ठीक वैसी ही जैसे ना तेरा कुसूर न मेरा कुसूर।
डीएमएफ का जिन्न फिर निकला बोतल से
डीएमएफ का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर आ गया है। जगह वही है और मसला भी कमोबेश पहले जैसा ही। जिस स्थान से डीएमएफ घोटाले का खुलासा हुआ था वहीं से अब फिर से घोटाले की सुगबुगाहट तेज हो गई है। पहले भी कलेक्टर पर आरोप लगे थे और इस बार भी उंगलियां उन्हीं पर उठ रही हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि इस बार आरोप उनकी पत्नी को लाभ पहुंचाने से जुड़े हैं।
मामले की जांच हो चुकी है और आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया गया है। जांच रिपोर्ट देखकर किसी को आश्चर्य नहीं हुआ, क्योंकि सबको पहले से ही अंदेशा था कि नतीजा ऐसा ही आएगा। यह आम धारणा है कि बड़े साहब के खिलाफ नकारात्मक रिपोर्ट देने की हिम्मत किसी में नहीं है।रिपोर्ट भी ऐसी है कि सवाल उठना लाजिमी है। जांच अधिकारी ने जो कमाल दिखाया है, उससे संकेत साफ हैं कि आगे कुछ और दिलचस्प घटनाक्रम देखने को मिल सकते हैं।
खूब चली राजनीति, हासिल आई शून्य
सांइस कालेज मैदान में दशहरा उत्सव को लेकर खूब राजनीति चली। धरना प्रदर्शन से लेकर बात थाने तक जा पहुंची। कांग्रेस को एक और मौका मिल गया। मौका मिला तो चौका लग्ना स्वाभाविक है। चौका लगा भी, ओर यह सब बेनतीजा ही रहा। सरकार से भला कोई लड़ पाया है। सरकार और सिस्टम। आप जीती नहीं सकते। सिस्टम नाम का जो शब्द है न वो अच्छे अच्छन की हवा निकाल देता है।सिस्टम ने अगर आपको साइंस कालेज मैदान से आउट करने का मन बना लिया है तब तो आपको आउट होना ही पड़ेगा, इंट्री का फिर सवाल ही नहीं उठता। हुआ भी यही।
अटकलबाजी
साइंस कॉलेज मैदान में दशहरा उत्सव की शुरुआत कैसे हुई। बेलतरा से तब कौंन विधानसभा चुनाव में लांच होने वाला था। लांचिंगपैड जिसके लिए बना वे क्यों नजर नही आये। सियासत की खातिर जो हुआ, वही एपीसोड फिर दोहराये गए।
बिलासपुर में दशहरा उत्सव में उमड़ी भीड़ की खबर ने भाजपा के किस नेता को बेचैन कर दिया। ग्रामीण नेता की स्वीकार्यता शहरवासियों के बीच क्यों नही हो पा रही।

प्रधान संपादक




