वर्धा। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के हिंदी साहित्य विभाग की ओर से महादेवी वर्मा सभागार में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की वैचारिक विकास यात्रा विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कुलपति प्रो. कुमुद शर्मा ने कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय का व्यक्तित्व राजनीति और चिंतन के साथ-साथ पत्रकारिता और साहित्य में भी महत्वपूर्ण रहा है। उन्होंने भारतीय जनमानस को वैचारिक दृष्टि से समृद्ध किया और अपने लेखन के माध्यम से समाज में बौद्धिक चेतना का संचार किया।
प्रो. शर्मा ने बताया कि दीनदयाल उपाध्याय ने पाठकों में वैचारिक सम्पन्नता लाने के उद्देश्य से दो उपन्यासों की रचना की। इनमें चंद्रगुप्त और शंकराचार्य की कथाओं को आधार बनाते हुए उन्होंने उन्हें एकात्म मानव दर्शन की दृष्टि से प्रस्तुत किया। उनका यह दर्शन व्यक्ति, परिवार और समाज की समग्रता को सामने लाता है, जिससे व्यष्टि और समष्टि के बीच का भेद समाप्त होता है।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय श्रीनगर के कुलपति प्रो. श्री प्रकाश सिंह ने ऑनलाइन संबोधित किया। उन्होंने कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय के विचार आज विश्व को प्रेरित कर रहे हैं। उन्होंने जीवन में संतुलन और विकास की बात करते हुए व्यष्टि से सृष्टि और सृष्टि से परमश्रेष्ठी तक की यात्रा पर अपने विचार रखे।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और कुलगीत से हुआ। स्वागत एवं प्रस्ताविक वक्तव्य साहित्य विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. अवधेश कुमार ने दिया। संचालन साहित्य विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अशोकनाथ त्रिपाठी ने किया, जबकि आभार प्रदर्शन अनुवाद अध्ययन विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. मीरा निचळे ने किया।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में शिक्षक, कर्मचारी शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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