बिलासपुर। जमीन की खरीद-फरोख्त में कूटरचना और धोखाधड़ी के मामले में लंबे समय से फरार चल रहे आरोपी सुरेश कुमार मिश्रा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। उसे न्यायिक रिमांड पर जेल भेजा गया है।

नागपुर में रहने वाले अरुण कुमार दुबे ने पुलिस को बताया कि वर्ष 1999 में वे एसईसीएल जमुना कोतमा एरिया में सुरक्षा अधिकारी पद पर पदस्थ थे। इस दौरान उन्होंने ग्राम मोपका स्थित 3000 वर्गफुट भूमि, जो रामफल कैवर्त की स्वामित्व वाली थी, उसका खरीदी-बिक्री कराई थी। रामफल कैवर्त का मुख्तियार आम सुरेश कुमार मिश्रा था, जिसने विधिवत 22 मार्च 1999 को रजिस्ट्री कराकर नामांतरण एवं डायवर्सन की प्रक्रिया पूरी कर दी थी। रजिस्ट्री के बाद आवेदक ने भूमि पर बाउंड्रीवाल बनवाई और कब्जा भी मिल गया। बाद में आवेदक ने यह भूमि सावित्री देवी राठौर को बेच दी।
शिकायत में आरोप लगाया गया कि जब सावित्री देवी ने नामांतरण के लिए तहसील कार्यालय में आवेदन दिया, तभी सुरेश कुमार मिश्रा ने अपने साथियों के साथ मिलकर पंजीयन कार्यालय से विक्रय विलेख की द्वितीय प्रति निकलवाई और उसमें छेड़छाड़ कर आपत्ति दर्ज करवाई। आपत्ति में कहा गया कि अरुण दुबे ने जिस जमीन की खरीदी-बिक्री की है, उसका असली खसरा नंबर 429/2 है, जबकि राजस्व अभिलेखों में कूट रचना कर 404/4 दर्ज कराया गया है। इस आधार पर एसडीओ राजस्व ने आदेश पारित कर आवेदक के नाम से दर्ज भूमि को विलोपित कर दिया। जांच में यह मामला कूटरचना और धोखाधड़ी का पाया गया। पुलिस ने पूर्व में ही आरोपियों महेंद्र सिंह ठाकुर, राजेश कुमार मिश्रा, मनोज कुमार दुबे और बनमाली मंडल को गिरफ्तार कर लिया था। वहीं, मुख्य आरोपी सुरेश कुमार मिश्रा पिता जी.पी. मिश्रा (59 वर्ष), निवासी राजकिशोर नगर, सरकंडा फरार चल रहा था। पुलिस ने आरोपित को घेराबंदी कर गिरफ्तार कर लिया है।

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