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October 23, 2025 1:44 pm

कानाफूसी

तिजहारिन की आंसुओं में बह गए टीआई


जिले में तीज-पर्व पर मायके जा रही तिजहारिन महिलाओं को रोककर वसूली की शिकायत ने पूरे पुलिस महकमे की इज्जत दांव पर लगा दी। एसएसपी रजनेश सिंह ने इस बार किसी भी रक्षाबंधन की डोर से बंधे बिना सीधे डंडा उठा लिया। मामला जांच में सही निकला तो टीआई साहब की कुर्सी तुरंत खींच ली गई। न तो कोई मौका मिला, न आराम। महिलाओं की आंसुओं का शिकार बनने वाले यह जनाब खुद माफी मांगते रहे। कहते हैं कि टीआई को बाहर का रास्ता ऐसे दिखाया गया, जैसे कोई नखरे वाली बारात को बिना बैंड-बाजा के विदा कर दे। अब चर्चा यही है कि जब एसएसपी का मूड तीज वाले सिंघाड़े जैसा सख्त हो, तो वसूली की मिठास जहर लगने लगती है। पुलिस महकमे में मजाक उड़ रहा है टीआई साहब अब वसूली नहीं, आराम कुर्सी पर नजर आएंगे। अब पता चल रहा है कि उनकी दो टीम थाना चला रही थी।

अनुभव का बोझ पड़ा भारी


मंत्रिमंडल की कुर्सियों की रेस में इस बार नजारा ही निराला रहा। जहां सीनियर नेता जी अपने अनुभवों का बोझ उठाए कछुए की चाल से दौड़ लगा रहे थे, वहीं जूनियर नेताजी हल्के-फुल्के फॉर्म में खरगोश की तरह फिनिश लाइन पार कर गए। गुरु गुड़ ही रह गए और चेले शक्कर बनकर मलाई चाट गए। अब प्रदेशभर में यही गपशप है कि नेतागिरी की भी यूथ पॉलिसी लागू हो गई है। लोग चुटकी ले रहे हैं कि सीनियर तो सिर्फ भाषण और आशीर्वाद के लिए रखे जाते हैं, असली मलाई तो जूनियर के झोले में जाती है। कुछ कह रहे हैं कि अनुभव का बोझ इतना भारी था कि सीनियर खुद ही अपने कदमों में उलझ गए। खैर, राजनीति के इस खेल में उम्र और अनुभव से ज्यादा काम आता है नेटवर्किंग और जुगाड़। अब जनता भी मजे लेकर पूछ रही है गुरु जी, कैसा लग रहा है शिष्य से ट्यूशन लेने में?

शराब से ज्यादा नशा विभाग में


कोरबा जिले का नेतृत्व करने वाले मंत्री जी का कद बढ़ गया है। अब वे आबकारी विभाग के मालिक बने हैं। यह वही विभाग है जो पिछली सरकार में गजब की सुर्खियां बटोर चुका है। पुराने मंत्री जी तक जेल यात्रा पर हैं। लेकिन देखिए, शराब का खेल है कि रुका ही नहीं। नकली होलोग्राम और ढक्कन आज भी मार्केट में ऐसे मिल रहे हैं जैसे चना-मुर्रा। चर्चा है कि पुराने ढक्कन अब भी सिस्टम में चिपके हुए हैं और नए ढक्कन अपनी-अपनी बोतलें सजाकर खेल रच रहे हैं। यानी, राजनीति हो या शराब, ढक्कन बदलते हैं लेकिन बोतल वही रहती है। मंत्री जी के सामने चुनौती है कि अब इन ढक्कन को कैसे संभालेंगे। क्योंकि जानकार को पता है शराब से ज्यादा नशा तो विभाग में है। अब जब बात ढक्कन की चल निकली है तो बतातें चलें कि आबकारी में कुछ लोग अपनी हांक रहे हैं जैसे उनकी जागीर हो।

बदलाव के बाद बदली चाल


मंत्रिमंडल विस्तार के बाद सरकार का रंग-ढंग मानो बदलते मौसम की तरह हो गया है। तीन नए मंत्री आए तो पुरानों ने तुरंत अपनी चाल बदल ली है।जब तक अटकलों का दौर था, सब इधर-उधर सिस्टम जमा रहे थे। विभाग बदलने की आहट से कुछ मंत्री ऐसे कांप रहे थे मानो परीक्षा में नकल की कॉपी पकड़ी गई हो। अब जब बंटवारा हो गया तो चेहरे पर वही पुरानी मुस्कान लौट आई, जैसे दही-बरफी का डिब्बा वापस मिल गया हो। जनता को उम्मीद है कि नया रंग-ढंग विकास का रंग होगा, पर राजनीतिक पंडित कह रहे हैं कि यह तो कुर्सियों का रंगमंच है। पुराने मंत्री अब नए विभागों में ऐसे एक्सपर्ट बन रहे हैं, जैसे बच्चा अचानक गणित में टॉपर हो जाए। कुल मिलाकर, मंत्रियों की चाल-ढाल में बदलाव जरूर दिखा है, पर असली बदलाव जनता की जिंदगी में आएगा या नहीं, यह देखने के लिए जनता अभी भी अपनी सांस अटकाए बैठी है।

अटकलबाजी

सीएम ने एक्साईज डिपार्टमेंट कोरबा जिले के एक मंत्री को दे दी। चर्चा है कि निशाना कहीं और से लगेगा कंधा किसी और का रहेगा। बीते डेढ़ साल में कहां से शराब की नदियां बह रही है ये आप भी जानते हैं। पड़ताल करने वाली बात यह है कि अब कोरबा में इस पर बैन लगेगा क्या?

डिप्टी सीएम अब खेलमंत्री बन गए हैं। अब कौन-कौन अफसरों को खो करेंगे ये देखने वाली बात रहेगी।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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