बिलासपुर। आईपीएल सीजन में सट्टे की रकम वसूली के मामले में तीन महीने से फरार खाईवाल को पुलिस ने बुधवार को गिरफ्तार कर लिया। अप्रैल में सट्टे के रुपये वसूलने वाले योगेश बुधवानी की गिरफ्तारी के बाद उसने तीन खाईवालों के नाम बताए थे। इसके बावजूद पुलिस लंबे समय तक कार्रवाई नहीं कर पाई। अब एसीसीयू के प्रधान आरक्षक पर वसूली का आरोप लगने के बाद अधिकारियों ने सख्ती दिखाई और सरकंडा के बंगालीपारा निवासी अजय हरजानी को घेराबंदी कर पकड़ा। उसे न्यायालय में पेश कर दिया गया है, जबकि दो खाईवाल अब भी फरार हैं।

कोतवाली सीएसपी आईपीएस गगन कुमार ने बताया कि अप्रैल में शनिचरी बाजार निवासी योगेश बुधवानी को तितली चौक के पास पकड़ा गया था। उसके पास से सट्टे का हिसाब-किताब और डेढ़ लाख रुपये नकद मिले थे। घर की तलाशी में सात लाख रुपये और मिले। पूछताछ में उसने अजय हरजानी, राहुल तेरसानी और राज चेतानी के लिए काम करने की बात स्वीकार की थी। पुलिस ने जुआ एक्ट और संगठित अपराध की धारा के तहत मामला दर्ज किया, लेकिन इसके बाद खाईवाल फरार हो गए। मंगलवार को एक युवक ने एसीसीयू के प्रधान आरक्षक पर धमकाने और वसूली का दबाव बनाने का आरोप लगाया। इस पर अधिकारियों ने तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए। कुछ ही घंटों में पुलिस ने तीन महीने से फरार अजय हरजानी को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, इस मामले में पुलिस पर सटोरियों को संरक्षण देने के आरोप भी लग रहे हैं। आरोपियों की गिरफ्तारी के समय एफआईआर में नाम छुपाने और जुआ जैसी धारा में मामला दर्ज कर पर्दा डालने की कोशिश हुई थी। बाद में आधा दर्जन लोगों की संलिप्तता सामने आने के बावजूद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इस दौरान कई खाईवाल खुलेआम अपना कारोबार करते रहे। वर्तमान में सिविल लाइन और सिरगिट्टी क्षेत्र में सटोरिए अब भी सक्रिय हैं। बताया जाता है कि पेंटर और तिफरा निवासी एक व्यक्ति खुलेआम सट्टा-पट्टी का संचालन कर रहा है। उनके गुर्गे अलग-अलग जगहों पर सक्रिय हैं, जबकि अन्य सटोरियों पर पुलिस तुरंत कार्रवाई करती है। इससे पुलिस की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में है।

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