बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया को लेकर एक संवेदनशील मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन रहा। याचिकाकर्ता सरोज सिंह, जो कि सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, अचोली, जिला बेमेतरा में वर्ष 2018 से व्याख्याता (अंग्रेजी) के रूप में कार्यरत हैं, को अतिशेष घोषित कर स्थानांतरित कर दिया गया। अनुपमा सारौगी, जिन्हें हाल ही में बहाल किया गया था, को उसी विद्यालय में तैनात किया गया और उन्हें बनाए रखा गया।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि यह निर्णय पूर्णतः नीति विरुद्ध और अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि युक्तियुक्तकरण नीति के अनुसार, जिस शिक्षक की पदभार ग्रहण करने की तिथि पहले है, उसे बनाए रखना चाहिए और जिसे बाद में नियुक्त किया गया हो, उसे अतिशेष माना जाना चाहिए। सरोज सिंह वर्ष 2018 से उसी विद्यालय में कार्यरत हैं, जबकि अनुपमा सारौगी को वर्ष 2025 में बहाल कर उसी विद्यालय में तैनात किया गया। याचिकाकर्ता पूर्व में भी इस माननीय न्यायालय की शरण में आई थी। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया था कि युक्तियुक्तकरण समिति ही उनकी आपत्ति पर निर्णय ले, और तब तक स्थानांतरण आदेश पर रोक भी लगाई गई थी। लेकिन आदेश के विरुद्ध, यह निर्णय कलेक्टर द्वारा न लेकर जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) द्वारा पारित किया गया, जो स्वयं इस सूची के मूल निर्माता हैं। यह न केवल “न्याय अपने ही मामले में देने” का उल्लंघन है, बल्कि न्यायालय के आदेश की भी अवहेलना है।
राज्य की ओर से पेश अधिवक्ता ने दलील दी कि अनुपमा सारौगी की वरिष्ठता उनकी मूल नियुक्ति तिथि से गिनी गई है, न कि वर्तमान विद्यालय में उनकी जॉइनिंग तिथि से।” हालांकि, अधिवक्ता ने एक समान स्थिति वाले कर्मचारी राकेश गुप्ता का उदाहरण प्रस्तुत किया। राकेश गुप्ता को भी बहाल किया गया था, लेकिन उन्हें जॉइनिंग की तिथि के आधार पर जूनियर मानते हुए अतिशेष घोषित कर दिया गया। उन्होंने अपनी आपत्ति में वरिष्ठता की गणना नियुक्ति तिथि से करने की मांग की थी, लेकिन प्रशासन ने इसे अस्वीकार कर दिया। अधिवक्ता ने तर्क दिया कि यदि राकेश गुप्ता के मामले में बहाली के बाद की जॉइनिंग तिथि को मानदंड बनाया गया, तो अनुपमा सारौगी के लिए अलग मानक अपनाना स्पष्ट रूप से पक्षपात और दुर्भावना को दर्शाता है।
मामलेे की सुनवाईजस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल सिंगल बेंच में हुई सभी पक्षों की विस्तृत सुनवाई के बाद कोर्ट ने मामले में निर्णय सुरक्षित रख लिया है।

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