जब कांग्रेस की सरकार खुद अडानी को न्योता देकर पर्यावरण स्वीकृति की सिफारिश कर रही थी तब उनके नेता अडानी भगाओ जैसे नारे क्यों नहीं लगा रहे थे
छत्तीसगढ़ ।छत्तीसगढ़ में कोयला खनन पर्यावरणीय स्वीकृति और अडानी समूह को लेकर मचे सियासी घमासान के बीच भाजपा के पूर्व एल्डरमैन मनीष अग्रवाल ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कांग्रेस की कथनी और करनी में भारी अंतर बताते हुए इसे खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे वाली चाल करार दिया।
पूर्व एल्डरमैन अग्रवाल ने कहा कि एक ओर कांग्रेस के नेता और उनके समर्थक अडानी भगाओ छत्तीसगढ़ बचाओ का नारा देकर प्रदेश में EOW की कार्यवाही का विरोध कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर वे यह स्वीकार नहीं कर रहे कि अडानी को छत्तीसगढ़ में आमंत्रण और कोयला खदानों की अनुमति स्वयं कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों ने दी थी।
अग्रवाल ने कहा कि वर्ष 2010 में जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी उस दौरान तत्कालीन पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने हरदेव अरण्य को नो-गो ज़ोन से हटाकर गो ज़ोन घोषित किया। इसके बाद 23 जून 2011 को तारा परसा ईस्ट और कांटे बासन कोल ब्लॉक को खोलने का प्रस्ताव दिया गया जबकि छत्तीसगढ़ और राजस्थान दोनों में कांग्रेस की सरकारें थीं।
उन्होंने आरोप लगाया कि उसी समय कांग्रेस की सरकारों ने अडानी को गारे-पेल्मा सेक्टर-2 छत्तीसगढ़ और कटे एक्सटेंशन ब्लॉक राजस्थान का ऑपरेटर बनाया था। इतना ही नहीं, 16 अक्टूबर 2019 को तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्रीय पर्यावरण स्वीकृति के लिए पत्राचार किया। इसके बाद 31 मार्च 2021 को ओपन कास्ट गारे-पेल्मा सेक्टर-2 खदान के लिए अनुबंध भी हुआ।
मनीष अग्रवाल ने यह भी बताया कि बघेल सरकार ने 19 अप्रैल 2022 को पर्यावरण और वन मंत्रालय से स्टेज-1 स्वीकृति और 23 जनवरी 2023 को स्टेज-2 स्वीकृति के लिए केंद्र को सिफारिश भेजी थी।
जब कांग्रेस की सरकार खुद अडानी को न्योता देकर पर्यावरण स्वीकृति की सिफारिश कर रही थी तब उनके नेता अडानी भगाओ जैसे नारे क्यों नहीं लगा रहे थे ? मनीष अग्रवाल ने तीखे सवाल उठाते हुए कहा पूछता है छत्तीसगढ़ पूछती है छत्तीसगढ़ की जनता यह कांग्रेस की दोहरी चाल और दोहरा चरित्र कब तक चलेगा ?

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