बिलासपुर। हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने हत्या के एक मामले में सुनवाई करते हुए निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है। निचली अदालत ने पति के हत्या के आरोपी पत्नी व प्रेमी युवक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। आरोपियों ने इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने याचिका को खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है।
कांकेर निवासी राज सिंह पटेल ने गांव में घटी घटना की सूचना पुलिस को देते हुए बताया कि मानसाय ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है। पुलिस ने मर्ग कायम कर मामले की जांच शुरू की। 8 जनवरी 2017 को मृतक की छह वर्षीय पुत्री ने जो कुछ बताया उसके बाद आत्महत्या का मामला जघन्य हत्या में बदल गया। बेटी की गवाही के आधार पर पुलिस ने मृतक की पत्नी सगोर बाई व महिला के प्रेमी युवक पंकू के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर निचली अदालत में चालान पेश किया। मामले की सुनवाई के बाद निचली अदालत ने पति के हत्या के आरोप में पत्नी व उसके प्रेमी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए जेल में बंद आरोपियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अपील पेश की थी। अभियोजन पक्ष ने मासूम के बयान को हाई काेर्ट के समक्ष दोहराया। बच्ची ने बताया कि जब वह चिल्लाने की कोशिश कर रही थी, तो उसकी मां ने उसे डांटकर चुप करा दिया। इस बयान के बाद पुलिस ने पूरे घटनाक्रम को हत्या मानते हुए धारा 302, 201, 34 के तहत अपराध दर्ज कर मृतक की पत्नी सगोर बाई और आरोपित युवक पंकू को गिरफ्तार कर कोर्ट में चालान पेश किया।
हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा कि, मृतक की पुत्री ने घटना को प्रत्यक्ष रूप से देखा था। मासूम के बयान में कोई विरोधाभास नहीं है और वह घटना की सबसे प्रमुख प्रत्यक्षदर्शी भी है। लिहाजा मासूम की गवाही को किसी अतिरिक्त साक्ष्य या प्रमाण की जरुरत नहीं। इस टिप्प्णी के साथ डिवीजन बेंच ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए अपील को खारिज कर दिया है।

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