पहाड़ों के बीच प्रगति की नई राह ,जम्मू-कश्मीर की कटरा और रियासी के बीच कनेक्टिविटी को देने जा रहा एक नया आयाम

ब्रिज का निर्माण कार्य रिकॉर्ड 11 महीनों में पूरा किया गया, जो भारतीय इंजीनियरिंग क्षमता का बेहतरीन उदाहरण
बिलासपुर छत्तीसगढ़ ।जब घाटियों की गहराई चुनौती बनती है और पहाड़ रास्ता रोकते हैं, तब इंसान की हिम्मत और हुनर मिलकर इतिहास रचते हैं। ऐसा ही इतिहास रचा है जम्मू-कश्मीर की अंजी खड्ड पर बने भारत के पहले केबल-स्टेड रेलवे ब्रिज ने, जो न सिर्फ इंजीनियरिंग का चमत्कार है, बल्कि विकास की नई किरण भी है।
SECR के सीपीआरओ डॉ सुस्कर विपुल विलासराव के द्वारा उपलब्ध कराई जानकारी के मुताबिक़ उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (USBRL) परियोजना के तहत कटरा-बनिहाल सेक्शन में बना यह ब्रिज, कटरा और रियासी के बीच यातायात का सेतु बनकर उभरा है। अंजी ब्रिज का निर्माण कार्य रिकॉर्ड 11 महीनों में पूरा किया गया, जो भारतीय इंजीनियरिंग क्षमता का बेहतरीन उदाहरण है।
क्या है अंजी ब्रिज में खास जानिये
अंजी ब्रिज कुल लंबाई 725 मीटर है जो नदी तल से ऊंचाई 331 मीटर और सेंट्रल पायलन की ऊंचाई 193 मीटर कुल केबल 96 केबल का कुल वजन 849 मीट्रिक टन केबल की कुल लंबाई 653 किलोमीटर स्टील का कुल उपयोग 8,215 मीट्रिक टन किया गया है । इस ब्रिज में 193 मीटर ऊंचा एक सेंट्रल पायलन है, जो पूरे ब्रिज को मजबूती और संतुलन प्रदान करता है। यह पुल भारत के सबसे ऊंचे रेलवे पुलों में से एक है, जो चिनाब ब्रिज के बाद दूसरे स्थान पर आता है।
अंज़ी ब्रिज से विकास के रास्ते खुले
अंजी ब्रिज केवल एक ढांचा नहीं, बल्कि जम्मू-कश्मीर के दूरदराज के इलाकों के लिए उम्मीद की किरण है। इस पुल के माध्यम से अब गांवों और कस्बों का सीधा संपर्क बड़े शहरों से हो सकेगा। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य बुनियादी सेवाएं वहां तक आसानी से पहुंच सकेंगी।
पर्यटन को मिलेगा बल
अंज़ी ब्रिज से जहाँ बेहतर कनेक्टिविटी और पर्यटन को बल मिलेगा, वहीं स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार के नए अवसर भी उपलब्ध होंगे और व्यापार व्यवसाय को मिलेगा विस्तार और जीवन में आएगी नई रफ्तार आएगी।
अंज़ी ब्रिज इंजीनियरिंग चमत्कार
अंजी ब्रिज अपने आकर्षक डिज़ाइन और मजबूती के साथ ना सिर्फ एक इंजीनियरिंग चमत्कार है, बल्कि ये बताता है कि जब इरादे बुलंद हों, तो कोई भी घाटी पार की जा सकती है।

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