बिलासपुर छत्तीसगढ़ । शहर में जल संकट और गंदे पानी की आपूर्ति को लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने गंभीर रुख अपनाते हुए स्वतः संज्ञान लिया है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस ए.के. प्रसाद की वेकेशन बेंच में हुई, जिसमें कोर्ट ने नगर निगम बिलासपुर के आयुक्त और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के सचिव को व्यक्तिगत शपथपत्र (हलफनामा) पेश करने का निर्देश दिया है।
नगर निगम की ओर से अधिवक्ता अनादि शर्मा ने कोर्ट को बताया कि एक समाचार जिसमें टंकी तैयार, पूरे गांव में पाइपलाइन बिछी, पानी का पता नहीं शीर्षक से प्रकाशित हुआ था, वह क्षेत्र ग्रामीण है, जो नगर निगम के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। इसलिए वहां निगम की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती। वहीं, राज्य सरकार की ओर से उपस्थित अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने भी कोर्ट को अवगत कराया कि यह क्षेत्र लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकार क्षेत्र में आता है। इस पर कोर्ट ने रजिस्ट्री को निर्देशित किया कि सचिव, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, रायपुर को इस जनहित याचिका (पीआईएल) में अतिरिक्त प्रतिवादी क्रमांक 8 के रूप में जोड़ा जाए। इसी बीच, एक खबर प्रकाशित हुई, जिसमें निगम के नालों की सफाई के दावों का जिक्र था। इस खबर के संदर्भ में नगर निगम बिलासपुर के आयुक्त ने कोर्ट में हलफनामा दायर किया। इसमें बताया गया कि नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में कुल 137 नालों की पहचान की गई है। एक मई 2025 से व्यापक गाद निकासी और सफाई अभियान शुरू किया गया है, जो 30 जून 2025 तक मानसून पूर्व तैयारियों के तहत सख्ती से चलाया जा रहा है। अब तक 59 नालों की गाद निकाली जा चुकी है और शेष 78 नालों की सफाई कार्य तीव्र गति से जारी है। इसके लिए नगर निगम ने आठ जेसीबी मशीनें तैनात की हैं।

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