बिलासपुर। रेलवे के रिटायर्ड कर्मचारी की जमीन को फर्जी दस्तावेजों के जरिए अपने नाम कर टुकड़ों में बेचने का मामला सामने आया है। पीड़ित परिजन की शिकायत पर सरकंडा पुलिस ने एक कालोनाइजर, उसकी पत्नी और अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

कुंदरु बाड़ी स्थित कश्यप कॉलोनी निवासी विजय कुमार रजक ने सरकंडा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है। पीड़ित ने पुलिस को बताया कि उनके दादा गोपी रजक के नाम पर मोपका में 63 डिसमिल जमीन थी। गोपी रजक का निधन वर्ष 2007 में हो गया था। कुछ समय बाद गुलाब नगर निवासी आरएन तिवारी उनके घर आया और विजय के पिता अशोक कुमार रजक से कहा कि गोपी रजक ने वह जमीन उसे बेच दी थी, लेकिन नामांतरण नहीं हो पाया है। उसने एक लाख रुपये में नामांतरण कराने की बात कही, लेकिन अशोक ने मना कर दिया और स्वयं के नाम से नामांतरण के लिए आवेदन दिया। न्यायालय ने सुनवाई के बाद उसके आवेदन को खारिज कर दिया। इसी दौरान वर्ष 2015 में अशोक कुमार रहस्यमय ढंग से लापता हो गए, जिनका अब तक कोई सुराग नहीं मिला है। उनके गायब होने के बाद विजय ने जब जमीन संबंधी दस्तावेजों की जानकारी जुटाई, तो पता चला कि वह जमीन 10 टुकड़ों में अलग-अलग लोगों को बेची जा चुकी है। इनमें अनिता तिवारी को छोड़कर बाकी सभी ने अपने नाम नामांतरण भी करवा लिया है। दस्तावेजों में उनके दादा के हस्ताक्षर हिंदी में हैं, जबकि वे हमेशा अंग्रेजी में हस्ताक्षर करते थे। इसके अलावा रजिस्ट्री पेपर में दिए गए अंगूठे के निशान भी एक-दूसरे से मेल नहीं खाते। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने आरएन तिवारी और अनिता तिवारी के खिलाफ धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े की धाराओं में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

प्रधान संपादक