ये चालाकी नहीं तो और क्या है
केंद्र सरकार का एक बड़ा विभाग छत्तीसगढ़ के न्यायधानी बिलासपुर में संचालित हो रहा है। नाम है एसईसीएल । कोल मंत्रालय के नवरत्न कंपनियों में शुमार है। आप यह सोच रहे होंगे कि नाम और काम के अनुरुप अफसरों का कामकाज भी होगा। नवरत्न कंपनी में शुमार एसईसीएल के अफसरों का मन कोयले की तरह काला ही है। एक पुरानी परंपरा चली आ रही थी। साल में एक बार पत्रकारों के साथ गेट टू गेदर का कार्यक्रम अफसर करते थे। इसमें केंद्र सरकार की योजनाओं के साथ ही एसईसीएल की भावी योजनाओं को रखा जाता था। परंपरा को बाहर से आने वाले अफसरों ने ऐसे पीछे छोड़ा कि पूछो मत। इसमें भी गजब की चालाकी बरती। हाल में जो कुछ हुआ इससे तो हमने पहले की लाइन में जो बातें लिखी है वही फिर दोहरा सकते हैं। अफसरों का मन कोयले की तरह काला ही है। तभी तो मीडिया के अपने को बुलाकर मैनेज कर लिया । एसईसीएल की सफाई भी गजब की। कहते हैं इवेंट के लिए बुलाया। ऐसा क्या इंवेट आपने कर दिया या करने जा रहे हैं जिसके लिए पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए नई परंपरा इजाद कर दी।
आखिरकार मंत्रीजी को मिल ही गया सरकारी आवास
मंत्री जी को काफी जद्दोजहद के बाद आखिरकार सरकारी आवास मिल ही गया। उनकी और समर्थकों दोनों की खुशी का ठिकाना जो नहीं रहा। होना भी चाहिए। लंबे समय और लंबी प्रतीक्षा के बाद यह सब हो पाया है। इसके लिए पता नहीं क्या-क्या पापड़ बेलने पड़े, कहां-कहां मैनेज नहीं करना पड़ा। कहते हैं कि इंतजार का फल मीठा होता है। हुआ भी यही। फल आया तो मीठा ही मीठा। आवास मिलने के बाद मंत्री और समर्थकों इससे भी ऊपर मेम साहब की इच्छा के अनुसार कलर सब कुछ हो गया। अब तो गृह प्रवेश भी कर लिया है। सरकारी आवास में गृह प्रवेश के मौके पर दिग्गज नेता भी नजर आए। भैया से लेकर भैया के समर्थक और मंत्री के चहेतों से लेकर विधानसभा क्षेत्र के कुछ खास विशेषतौर पर दिखे।
सटोरिए की आलीशान पार्टी, पुलिस अफसर बने मेहमान

महादेव सट्टा एप के बारे में आपको तो पता ही होगा। विधानसभा चुनाव के दौरान यह मामला खूब और जमकर उछला। एक्स सीएम से लेकर उनके करीबियों के बारे में हल्ला उड़ा। डेढ़ साल के करीब हो रहा है, बात आई और गई जैसे हो गई है। हम और आप ऐसा ही कुछ समझ रहे थे। हाल ही में भिलाई में जो कुछ हुआ और सोशल मीडिया में जो कुछ चल रहा है उसे देखकर पता नहीं क्या कहें या फिर क्या लिखें। ना कुछ लिखना और ना ही कुछ कहना। वीडियो ही सारा माजारा अपने आप समझा दे रहा है। पुलिस रिकार्ड में महादेव सट्टा एप का सटोरिया धमेंद्र जायसवाल तीन साल से फरार है। भिलाई के औद्योगिक क्षेत्र स्थित कैलाश नगर हाउसिंग बोर्ड परिसर के श्री राम हाइट्स में हाल ही में शानदार पार्टी दी। अब आप ये मत पूछिए कि पार्टी में छत्तीसगढ़ और बाहर के कितने सटोरिए पहुंचे थे। पार्टी तो उनके और पुलिस वालों के लिए ही थी। पार्टी बनाम गेट टू गेदर। जान पहचान भी तो जरुरी है। आप समझ रहे हैं। सटोरिया वह भी पुलिस रिकार्ड में तीन साल से फरारी काट रहा है और उसी की पार्टी में एडिशनल एसपी से लेकर पुलिस के अधिकारी मेहमान बनकर पहुंच रहे हैं। अब इसे क्या कहेंगे। पुलिस सटोरिए भाई-भाई या फिर कुछ और।
सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाम वामपंथी विचारधारा
गुरुघासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी में इन दिनों जो कुछ चल रहा है, उसे कतई ना तो अच्छा कहा जा सकता और ना ही इसकी अनदेखी की जा सकती है। देशभर के यूथ यहां पढ़ाई के लिए आते हैं, उसी तरह प्रोफेसर भी। बीते कुछ सालों से यूनिवर्सिटी कैंपस में जो कुछ घट रहा है उसे देखकर तो यही कहा जा सकता है कि इसे कुछ लोग जेएनयू बनाने की फिराक में है। वामपंथी विचारधारा वाले प्रोफेसरों की यहां कमी नहीं है। इनकी करतूत तो आप देख ही रहे हैं। हाल के दिनों में शिवतराई के एनएसएस के कैंप में जो कुछ हुआ उसे महज संयोग का नाम ना तो टाला जा सकता है और ना ही इसे माफ किया जा सकता है। ये ऐसे ही लोगोे की करतूत है तो जानबुझकर इस तरह की घटना को अंजाम दे रहे हैं। सेंट्रल यूनिवर्सिटी जेएनयू तो नहीं बन पाएगा, हां यह जरुर है ऐसे करतूत करने वालों का मुंह काला कर यहां के यूथ जरुरी खदेंडेंगे, इसकी पृष्ठभूमि भी अब तैयार होने लगी है।
अटकलबाजी
सटोरिए की पार्टी में पहुंचने वाले खाकी ड्रेस वाले अफसरों पर सीबीआई की नजर पड़ने वाली है या नहीं। सीबीआई की नजरें तीरछी हो गई तब आलीशान पार्टी में जाम छलकाने वाले खाकी वाले अफसरों का क्या होगा।
बिलासपुर के नेहरु चौक में सांसद का सरकारी बंगला है। सांसद और फिर मंत्री बनने के बाद मंत्री को अपने ही बंगले में जाने के लिए इतना इंतजार किसने और क्यों कराया। बंगला कैसे मिला।

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