बिलासपुर। बिलासपुर नगर निगम में बजट के लिए सामान्य सभा की अहम बैठक हो चुकी है। बैठक से पहले नगर निगम द्वारा नियमानुसार सूचना प्रेषित की गई और पार्षदों को बजट के लिए सामान्य सभा की बैठक में शामिल होने आमंत्रित भी किया गया। यह सब आधिकारिकतौर पर परिषद सचिव के माध्यम से किया गया। पृष्ठभूमि की जरुरत इसलिए कि सामान्य सभा की मीटिंग की सूचना के बाद भी ना तो कांग्रेस के स्थानीय संगठन ने और ना ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति को लेकर गंभीरता दिखाई। बिना नेता प्रतिपक्ष के सामान्य सभा की पहली और महत्वपूर्ण बैठक सम्पन्न हो गई। निश्चिततौर पर पंडित देवकीनंदन दीक्षित सभागार में बैठक के दौरान कांग्रेस की तो भद्द पिटी साथ ही स्थानीय संगठन के कर्ताधर्ताओं की संगठनात्मक क्षमता की भी पोल खुल गई।
कांग्रेस की भद्द पिटने के बाद स्थानीय संगठन के साथ ही पीसीसी की सक्रियता बढ़ी और बिलासपुर के अलावा प्रदेश के 9 नगरीय निकायों में नेता प्रतिपक्ष व उप नेता प्रतिपक्ष की ताजपोशी को लेकर सियासी सक्रियता बढ़ी। प्रदेश से लेकर स्थानीय राजनीति में कांग्रेस के स्थानीय नेता हो या फिर कार्यकर्ता बिना लाबिंग और आकाओं के फेरे लगाए कुछ हासिल नहीं होता। बिलासपुर नगर निगम के मामले तो काफी कुछ ऐसे ही हुआ। विधानसभा चुनाव हारने के बाद पूर्व विधायक शैलेष पांडेय की सियाासी सक्रियता इन दिनों कुछ कम ही नजर आ रही है। हालांकि अपोलो के फर्जी कार्डियोलाजिस्ट के मामले में जिला व शहर कांग्रेस कमेटी की सक्रियता और हमलावर रूख के बीच अपनी लकीर खींचने की कोशिशें उनकी तरफ से जोर शोर से हुई। सीधे डीजीपी के पास पहुंचे और अपनी डिमांड भी रख दी।

उम्मीद के मुताबिक मीडिया में जगह भी मिली। फर्जी कार्डियोलाजिस्ट के मामले में संगठन से अलग राह चलने को लेकर चर्चा भी होते रही। या ऐसा भी कह सकते हैं कि यह चर्चा आज भी चल रही है। जिला कांग्रेस कमेटी ने 24 अप्रैल को न्याय यात्रा का ऐलान जो कर दिया है। यात्रा की सफलता को लेकर होने वाली बैठकों के दौरान चर्चा और अटकलबाजी दोनों का ही जोर देखने को मिलता है। स्थानीय राजनीति के जानकारों और पूर्व विधायक से जुड़े खास सिपहसालारों की मानें तो नगर निगम में अपनी चलाने के लिए नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी हथियाने की कोशिशें भी खूब चली। पीसीसी के दिग्गजों से लेकर कद्दावर नेताओं के बीच संभावनाएं भी जमकर तलाशी और टटोली भी। प्रदेश स्तर पर बात बनते ना देख भोपाल की परिक्रमा कर आए। मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की परिक्रमा का लाभ तो मिला पर सियासीतौर पर इतना कुछ नहीं कि आने वाले पांच साल में निगम में अपने इशारे पर राजनीति चलाई जा सके।
पूर्व सीएम ने एक पूर्व सीएम से की बात, फिर मिली छोटी कुर्सी

चर्चा है कि पूर्व सीएम ने छत्तीसगढ़ के एक पूर्व सीएम से बात की। स्थानीय राजनीति में पूर्व विधायक के कोटे का ख्याल रखने की समझाइश दी। सीनियर की समझाइश का असर भी हुआ। पूर्व सीएम ने भोपाल से आए फोन का पूरा-पूरा तव्वजो दिया। उप नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी समर्थक को दिलाने में कामयाब रहे। कांग्रेसी खेमे में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि बात छोटी और बड़ी कुर्सी की नहीं, मौजूदा राजनीति में अनफिट होने से बाल-बाल बच गए।

अधिमान्य पत्रकार छत्तीसगढ़ शासन