बिलासपुर। अरपा नदी के संरक्षण और संवर्धन के साथ अवैध उत्खनन और परिवहन पर रोक ना लगाए जाने को लेकर नाराजगी जताई है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने इस पर प्रभावी रोक लगाने का निर्देश कलेक्टर बिलासपुर को दिया है। नाराज चीफ जस्टिस ने खनिज विभाग के सचिव को नोटिस जारी कर शपथ पत्र के साथ जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।
अरपा के संरक्षण व संवर्धन को लेकर बिलासपुर हाई कोर्ट में दो जनहित याचिका पर एकसाथ सुनवाई हो रही है। बीते दिनों चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। अरपा में अवैध उत्खनन को रोकने के लिए जिला प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों को लेकर कोर्ट ने नाराजगी जताई। डिवीजन बेंच ने नदी संरक्षण के लिए जिला प्रशासन द्वारा किए जा रहे प्रयास को औपचारिकता बताते हुए तल्खी भी दिखाई।
राज्य शासन की ओर से पक्ष रखते हुए महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने कहा कि कोर्ट के आदेश के परिपालन में गृह सचिव ने शपथ पत्र के साथ जानकारी पेश कर दी है। अवैध उत्खनन काे रोकने के लिए छह सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई राज्य शासन द्वारा की जाएगी। समिति को 30 दिनों के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है, जिसके बाद माइन एंड मिनरल्स (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन) एक्ट के नियमों में संशोधन हेतु विधि विभाग को प्रस्ताव सौंपा जाएगा। नियमों में जरुरी बदलाव भी किए जाएंगे।

महाधिवक्ता के जवाब के बाद डिवीजन बेंच ने बिलासपुर नगर निगम के कमिश्नर को अरपा के संरक्षण व अवैध उत्खनन को रोकने के लिए किए जा रहे प्रयास और आगे की योजना के संबंध में शपथ पत्र के साथ विस्तार से जानकारी पेश करने का निर्देश दिया है।
निगम की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता आर.एस. मरहास ने कोर्ट को बताया, पुणे की स्ट्रीम इंफ्रा डेवलपमेंट कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड से प्राप्त डीपीआर का सत्यापन कर लिया गया है। डीपीआर को सीई पीएचई विभाग ने अपनी स्वीकृति दे दी है।अधिवक्ता ने कहा कि प्रशासकीय स्वीकृति मिलने के बाद टेंडर की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी।
कोर्ट ने कहा कि माइनिंग एक्ट के तहत खनिज माफिया पर कड़ी कार्रवाई की जरुरत है। जुर्माना लगाना पर्याप्त नहीं है। कोर्ट ने अवैध उत्खनन और परिवहन पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए राज्य शासन काे कड़े नियम बनाने का निर्देश दिया है। जनहित याचिका की अगली सुनवाई के लिए डिवीजन बेंच ने 22 अप्रैल की तिथि तय कर दी है।

अधिमान्य पत्रकार छत्तीसगढ़ शासन