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July 1, 2025 12:49 pm

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रहस्यमयी घाघरा मंदिर: बिना जोड़ वाली पत्थरों से बनी अनूठी संरचना

मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर, 07 मार्च 2025 छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में स्थित घाघरा मंदिर अपनी अनोखी स्थापत्य कला और रहस्यमयी संरचना के कारण चर्चा में है। यह प्राचीन मंदिर जनकपुर के पास घाघरा गांव में स्थित है और अपनी विशेष निर्माण शैली के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर का निर्माण बिना किसी गारे, चूने या किसी अन्य जोड़ने वाली सामग्री के किया गया है, केवल पत्थरों को संतुलित कर यह अद्भुत संरचना खड़ी की गई है।

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बिना जोड़ की अनोखी निर्माण कला

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घाघरा मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें पत्थरों को जोड़ने के लिए कोई भी सीमेंट, मिट्टी या गारा इस्तेमाल नहीं किया गया है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह तकनीक प्राचीन भारतीय इंजीनियरिंग और वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है।

इतना ही नहीं, यह मंदिर थोड़ा झुका हुआ भी है, जो इसे और भी रहस्यमयी बनाता है। इतिहासकारों का मानना है कि यह झुकाव किसी भूकंप या भूगर्भीय हलचल के कारण हुआ होगा, लेकिन इसके बावजूद सदियों से यह संरचना मजबूती से खड़ी है।

मंदिर का निर्माण काल रहस्य बना हुआ

घाघरा मंदिर के निर्माण काल को लेकर इतिहासकारों में अभी तक एकमत नहीं है। कुछ इसे 10वीं शताब्दी का बताते हैं, तो कुछ इसे बौद्ध कालीन मानते हैं। हालाँकि, स्थानीय लोगों का मानना है कि यह प्राचीन शिव मंदिर है, जहाँ विशेष अवसरों पर पूजा-अर्चना की जाती है। मंदिर के अंदर किसी मूर्ति का न होना भी इसे और रहस्यमयी बनाता है।

पर्यटन और शोध का केंद्र

घाघरा मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर भी है। इसकी अनूठी संरचना और ऐतिहासिक महत्व के कारण यह पुरातत्वविदों और शोधकर्ताओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यदि इस स्थल को उचित पहचान मिले, तो यह क्षेत्र धार्मिक और ऐतिहासिक पर्यटन के लिए एक प्रमुख केंद्र बन सकता है।

कैसे पहुँचे घाघरा मंदिर?

घाघरा मंदिर जाने के लिए सबसे नजदीकी प्रमुख कस्बा जनकपुर है, जहाँ से घाघरा गांव तक आसानी से पहुँचा जा सकता है। मनेंद्रगढ़ से मंदिर की दूरी लगभग 130 किलोमीटर है, जिसे सड़क मार्ग से तय किया जा सकता है। यात्रा के दौरान पर्यटक छत्तीसगढ़ के प्राकृतिक सौंदर्य का भी आनंद ले सकते हैं।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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