चमचों पर रार या फिर वार
नेता प्रतिपक्ष डा चरणदास महंत ने चमचों को लेकर बात क्या कही, यह तो अब कांग्रेस में टाकिंग पाइंट बनने लगा है। जहां देखों वहीं चमचों पर बात होने लगी है। यहां वहां जहां भी कांग्रेसी इकट्ठा हो रहे हैं, औपचारिक ओर अनौपचारिक चर्चा के बाद चमचों पर ही बात छिड़ जा रही है। अब देखिए ना, बिलासपुर के मुंगेली नाका चौक स्थित ग्रीन गार्डन में सभा के दौरान कांग्रेस के नेता चमचों के आगे-पीछे ही घुमते नजर आए। मंच ये लेकर मैदान तक। अपनों के बीच बातें होती रही। एक पूर्व मंत्री से रहा नहीं गया, वे तो सीधे मंच से ही चमचों पर बात शुरू कर दी। चमचों पर रार के साथ वार भी हुआ। वार किस पर हुआ ये तो आप भी अच्छी तरह जानते हैं। पूर्व मंत्री ने तो यहां तक कह दिया, हम कांग्रेस पार्टी के चमचे हैं। पूर्व मंत्री ने ऐसा क्यों कहा और किसके इशारे पर मंच से इसे मुद्दा बनाने की कोशिश की, यह सब पड़ताल करने की जरुरत आपकी है।
चौबे जी के बयान के बाद आया यह एपीसोड
चमचों पर बात हो ही रही है तो इसे और आगे बढ़ाते हैं। पहले थोड़ा पीछे चलते हैं, आखिर नेताजी को चमचों वाली बात कहनी क्यों पड़ी, मुद्दा ये नहीं है, आखिर उनको यह सब किसके लिए कहना पड़ा। उनका इशारा और निशाना किस ओर था। यह तो किसी ने उनसे पूछा ही नही, जैसा कि उनकी आदत है, कहते हैं और चुप हो जाते हैं। पहले नेताजी से पूछिए तो सही। चमचों वाली बात कहां से आई, किसके लिए आई और राजीव भवन में समझाइश देने के पीछे का कारण क्या बना। पूर्व सीएम के बर्थडे पर पूर्व मंत्री चौबे ने पीसीसी चेयरमैन का मुद्दा जाने अनजाने में उछाल दिया था। उनके बयान के बाद कांग्रेस में खलबली मच गई। भिलाई से निकली खलबली सीधे राजीव भवन पहुंच गई। राजीव भवन में ही चमचों की बात आई। अब यह तो नेताजी की अच्छी तरह बता सकते हैं कि उनकी जुबान पर यह बात क्यों आई और किसके लिए आई। गेंद अब भी नेताजी के पाले में ही है।
फ्लाप शो के पीछे का किरदार कौन
मुंगेली नाका ग्रीन गार्डन मैदान में सभा से पहले कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने जोर शोर से दावा किया था। हजारों की भीड़ आएगी, केंद्र व राज्य सरकार के खिलाफ माहौल बनाएंगे। सरकार को घेरेंगे। इसके अलावा और भी बहुत कुछ। शो से पहले जो कुछ हुआ वह तो सभी को पता है। जिम्मेदारी भी किसे दी गई। गुटबाजी फैलाने वाले दो किरदारों को। जिला व शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्षों को। जिसने नगरीय निकाय चुनाव के दौरान कोई कसर नहीं छोड़ी थी। पार्षद उम्मीदवारों के बहाने विरोधियों को निपटाने में पूरा जोर लगाया। नतीजा क्या आया। विरोधी को निपटाते निपटाते पूरी पार्टी ही निपट गई। जो अब तक नहीं हुआ निकाय चुनाव में वह सब हो गया। गुटबाज नेताओं के कंधे पर शो की सफलता की जिम्मेदारी दी गई थी। नतीजा तो आपने देखा ही। कुर्सियां खाली रह गई। छोटे से लेकर बड़े नेता आपस में ही एक दूसरे की टांग खींचते रहे।
कप्तान की पुलिसिंग की देनी होगी दाद
चाकूबाजी की घटना हो या फिर सड़कों पर धींगा मस्ती, सड़क छाप गुंडों से लेकर मोहल्लेछाप गुंडों की इन दिनों सामत आई हुई है। दादागीरी करने वाले हो या फिर चाकू लहराने वाले। लाल बंगला में नजर आ रहे हैं। चाकूबाजों के बहाने नेतागीरी करने वालों को भी पुलिस कप्तान आचार संहिता से लेकर कानून और कायदे की पाठ पढ़ा रहे हैं। छात्र नेताओं से लेकर परिषद नेताओं सभी को ला एंड आर्डर का तो पालन करना होगा। आला अफसरों के पास ज्ञापन देने जा रहे हैं तो सिस्टम को तो फालो करना ही पड़ेगा। बगैर सिस्टम फालो किए बात कैसे होगी और आपकी बात अफसर सुनेंगे कैसे।पुलिस कप्तान ने पिछले दिनों कुछ इसी तरह के सिस्टम की बात कही थी। सिस्टम में आने से सब कुछ अच्छा होता है। नेतागीरी करनी है तो सिस्टम को तो समझना पड़ेगा ही।
अटकलबाजी
कांग्रेस के फ्लाप शो में एक और एपीसोड हुआ, माइक छिनने का, वह भी आदिवासी नेता व पूर्व मंत्री का। पीसीसी के सह प्रभारी ने ऐसा किसके इशारे पर किया। आने वाले दिनों में इसका क्या रिएक्शन आएगा। सह प्रभारी छत्तीसगढ़ से आउट तो नहीं हो जाएंगे।
नगर निगम में लीडर अपोजिशन और निगम प्रशासन के बीच इन दिनों कुर्सी दौड़ चल रही है। चेंबर के लिए लीडर अपोजिशन को मशक्कत क्यों करनी पड़ रही है। किसके इशारे पर यह सब हो रहा है।

प्रधान संपादक

