दिल्ली। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व उनके पुत्र को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिल पाई है। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करने का निर्देश दिया है। डिवीजन बेंच ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट को पूर्व सीएम व पुत्र द्वारा याचिका दायर की स्थिति में प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई सुनश्चित करने कहा है।
पूर्व सीएम बघेल ने याचिका दायर कर राजनीतिक विद्वेषवश की जा रही कार्रवाई को कारण बताते हुए अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी। याचिका में पूर्व सीएम ने अपने पुत्र चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी को इसी का हिस्सा बताते हुए आशंका जताई थी कि शराब घोटाले, कोल स्कैम व महादेव सट्टा एप में संलिप्तता का आरोप लगाते हुए केंद्रीय जांच एजेंसी उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। पूर्व सीएम ने अपनी याचिका में अग्रिम जमानत देने व जांच में जांच एजेंसियों का पूरा पूरा सहयोग करने का आश्वासन दिया था। पूर्व सीएम के पुत्र चैतन्य बघेल ने अपनी याचिका में ईडी द्वारा जानबुझकर फंसाने का आरोप लगाया है। याचिका में चैतन्य ने कहा है कि ना तो एफआईआर में उनका नाम है और ना ही किसी ने उसके खिलाफ शराब घोटाले में संलिप्तता को लेकर गवाही दी है। पिता के साथ राजनीतिक प्रतिशोध का बदला लिया जा रहा है।
दोनों पिता पुत्रों के मामले में लगी याचिका की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की पीठ में हुई। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मामले में भूपेश बघेल या उनके बेटे को किसी तरह की राहत नहीं दी। उन्होंने निर्देश दिया कि इस मामले में वह छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत करें। उनकी याचिका पर त्वरित सुनवाई सुनिश्चित करने के निर्देश छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट को दिए गए हैं।
न्यायमूर्ति सूर्यकात ने कहा किजब कोई प्रभावशाली व्यक्ति होता है, तो वह सीधे सुप्रीम कोर्ट चला आता है। अगर हम ही हर मामले की सुनवाई करने लगेंगे, तो अन्य अदालतों की क्या आवश्यकता रह जाएगी। आम आदमी और साधारण वकीलों के लिए सुप्रीम कोर्ट में कोई जगह ही नहीं बचेगी।
याचिकाकर्ता अंतरिम राहत के लिए हाई कोर्ट जाएं।एक ही याचिका में वैधानिक चुनौती और व्यक्तिगत राहत मांगना,पीएमएलए की धारा 50 और 63 को चुनौती देने के लिए अलग याचिका दायर करें।

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