बिलासपुर। धर्मांतरण के आरोप में जेल में बंद ननों को एनआईए कोर्ट से जमानत मिल गई है। बीते दिनों सुनवाई के दौरान सेशन कोर्ट से अधिकार क्षेत्र से बाहर होने के साथ ही याचिकाकर्ताओं को एनआईए कोर्ट में जमानत आवेदन पेश करने कहा था।
धर्मांतरण और मानव तस्करी के आरोप में पुलिस ने दो ननो के साथ एक महिला को गिरफ्तार किया था।
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर राज्य से लेकर देशभर में सियासी माहौल तेज हो गया था। एक तरफ भाजपा सरकार पर अल्पसंख्यकों के दमन का आरोप लग रहा था तो दूसरी तरफ बजरंग दल अपने रुख पर कायम थी। दुर्ग जेल में कांग्रेसी और वामपंथी सांसद ननों से मुलाकात करने भी पहुंचे थे। इस मामले में मानवाधिकार आयोग से शिकायत की भी तैयारी थी।
निचली अदालत में जमानत खारिज करने के बाद दुर्ग सेशन कोर्ट में ननो ने जमानत आवेदन पेश किया था। जहां ह्यूमन ट्रैफिकिंग से जुड़ा मामला होने के चलते अधिकार क्षेत्र से बाहर होने की जानकारी देते हुए सेशन कोर्ट ने सुनवाई से इनकार करते हुए एनआईए कोर्ट में आवेदन पेश करने की बात कही थी। इसके बाद बिलासपुर एनआईए कोर्ट में जमानत आवेदन पेश किथा। शुक्रवार को एनआईए कोर्ट में मामले की सुनवाई । दोनों पक्षों के वकीलों के तर्कों को सुनने के बाद एनआईए कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने दोनों ननों को जमानत दे दी है।
कोर्ट ने दी सशर्त जमानत:–

धर्मांतरण एवं ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामले में प्रीति मैरी निवासी डिडौरी मध्यप्रदेश, वंदना फ्रांसिस निवासी आगरा उत्तरप्रदेश की रहने वाली है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद तीनों को 50–50 हजार रूपये के बांड पर जमानत दे दी है। दोनों ननों को अपना पासपोर्ट सरेंडर करना होगा, मामले के फैसला होने तक वे देश छोड़कर नहीं जाने का निर्देश दिया है।

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